समाज में अश्लीलता व फूहड़पन परोस रहा कानफोड़ू डीजे

हृदयाघात से हो रही मौतें

समाज में अश्लीलता व फूहड़पन परोस रहा कानफोड़ू डीजे

रूद्रपुर, देवरिया।

डीजे यानी डिस्क जॉकी के नाम से मशहूर संगीत की धुन पर बजने वाला गीत आज की तारीख में अश्लीलता व फूहड़पन का  माध्यम बनता जा रहा है। विवाह समारोह में हाल के दिनों में डीजे की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। अब तो बर्थडे पार्टी हो या और कोई पारिवारिक संस्कार बिना डीजे के समारोह संपन्न नहीं होता।

डीजे का प्रचलन इस कदर बढ़ गया है कि अब प्रतिमाओं के विसर्जन में भी जब तक युवा डीजे पर अश्लील भोजपुरी नृत्य न करें तब तक विसर्जन संपन्न नहीं होता। शादी समारोह में तो डीजे की कानफोड़ू आवाज अब लोगों को परेशान करने लगी है। अश्लील गानों की फरमाइश को लेकर हो रही मारपीट मौत के अंजाम पहुंच रही है, तो वहीं लगभग 200 डेसिबल की ध्वनि के कंपन से लोग आए दिन हृदयाघात के शिकार हो रहे हैं।

हालांकि मनुष्य के सुनने की क्षमता 45 डेसिमल तक है और प्रदूषण विभाग का निर्देश भी है की 45 डेसिबल से अधिक की ध्वनि प्रदूषण के दायरे में आती है किंतु 200 डेसिमल की ध्वनि के बाद भी प्रशासन कान बन्द किये है। पुलिस कार्यवाही के नाम पर बचती है। लोगों की मांग पर डीजे संचालक मनमानी करते हैं। हाल ही में गौरी बाजार थाना क्षेत्र के सेखुई में डीजे पर अश्लील गाने के दौरान नृत्य को लेकर मारपीट हुई जिससे एक युवक की जान चली गई।

विगत वर्ष बरहज थाना क्षेत्र में भी डीजे के मामले को लेकर एक बड़ी घटना घटी थी।डीजे पूरी तरह से प्रतिबंधित होना चाहिए। ध्वनि प्रदूषण फैलाने के मामले में पुलिस कानून के हिसाब से रोक लगा सकती है किंतु पुलिस बिना तहरीर के कुछ नहीं करती है। रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट के द्वारा इसे प्रतिबंधित किया जाय या सरकार शासनादेश जारी कर इसे बैन करे, क्योंकि डीजे सिर्फ कानफोड़ू ही नहीं अश्लीलता का नंगा नाच भी करा रहा है।

जिसमें फंसकर युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। साथ ही डीजे की कर्कश आवाज हृदयाघात का कारण भी बन रही है। है। सामूहिक बहिष्कार व जन विरोध के द्वारा इसे बन्द कराया जा सकता है।

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