
मोदी सरकार ने ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’’ के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को धोखा दिया- पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण
On
मोदी सरकार ने ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’’ के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को धोखा दिया- पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण
मोदी सरकार और भाजपा ने एक तरफ़ तो सेना की कुर्बानी सेना के शौर्य का इस्तेमाल अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया, दूसरी ओर सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात किया। वन रेंक, वन पेंशन के नाम पर धोखा, सेना के पदों को न भरना, सेना की मूलभूत सुविधाओं को भी छीन लेना, विसंगतियों को जानबूझकर नज़रंदाज करना, सिविलियन कर्मचारियों के मुकाबले सेना से भेदभाव करना, पूर्व सैनिकों के पुनर्वास व रोज़गार पर चोट पहुंचाना तथा सैन्य शक्ति को कमज़ोर करना मोदी सरकार में सेना का मनोबल तोड़ने की साजिशों का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मोदी राज में सेना और सैनिकों को लेकर हो रहे अपमान पर श्वेत पत्र ‘‘शौर्य के नाम पर वोट सेना के हितों पर चोट’’ को जारी करते हुए यह बातें कही।
पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा, जब भी हम अपनी सेनाओं को याद करते हैं, तब तब हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है। जब-जब भारत माँ की गरिमा पर आँच आती है, हमला होता है, तब-तब हमारी सेनाओं के सपूत अपना सर्वोच्च बलिदान देकर भी भारत माँ के गौरव की रक्षा करते हैं। देश की माटी की रक्षा की अटूट सौगंध ले यह कुर्बानी केवल हमारे सैनिक ही दे सकते हैं। मगर मोदी सरकार ने तो देश की सुरक्षा से ही समझौता किया है। यह बात भाजपा के वरिष्ठ नेता, श्री मुरली मनोहर जोशी ने ‘‘पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन एस्टीमेट’’ की रिपोर्ट में बताई और कहा कि मोदी सरकार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है व सेना के हितों को नकार कर सरकार ने सेना के बजट में 60 साल की सबसे भीषण कटौती की है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की शर्मनाक असंवेदनशीलता का इससे बड़ा सबूत क्या है कि जिस दिन हमारे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत जी और उनकी धर्मपत्नी एक दुखद दुर्घटना का शिकार हुए, उसी दिन उनके पितातुल्य ससुर की समाधि पर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार बुलडोजर चला देती है। इन सबसे एक बात साफ़ है- केंद्र की भाजपा सरकार सेना के शौर्य के नाम पर वोट तो बटोरती है पर सैनिकों के अधिकारों पर रोज कुठाराघात करती है। इतना ही नहीं, भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता, मेजर जनरल, बी सी खंडूरी ने पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन डिफेंस के प्रमुख रहते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि मोदी सरकार ने न सिर्फ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कुठाराघात किया है, अपितु सेना के आधुनिकीकरण को नुकसान पहुंचाया।
उन्होंने कहा 13 दिसंबर, 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि तीनों सेनाओं में 1,22, 555 पद खाली पड़े हैं, जिनमें से लगभग 10,000 पद सैन्य अधिकारियों के भी हैं। देश की सुरक्षा से मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा यह खिलवाड़ नाकाबिले माफ़ी है। मोदी सरकार ने ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’’ के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को धोखा दिया है। यूपीए- कांग्रेस सरकार ने साल 2004 से साल 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों को पेंशन दी, जिससे उन्हें ₹7,000 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ। मगर सत्ता में आने के बाद मोदी अपने वादे से पलट गए। 7 नवंबर, 2015 को मोदी सरकार ने नया आदेश निकाला और सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’’ पूरी तरह से छीन ली।
उन्होंने कहा मोदी सरकार ने ईसीएचएस बजट में लगातार कटौती कर रही है। यहाँ तक कि मौजूदा साल 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों का ईसीएचएस बजट 1,990 करोड़ रुपए काट लिया गया। ईसीएचएस बजट में कटौती का नतीजा यह है कि ईसीएचएस के एम्पेनल्ड अस्पतालों में एरियर्स का भुगतान नहीं हो रहा, और नतीजतन रेफरल के बावजूद पूर्व सैनिकों और अधिकारियों का इलाज नहीं हो रहा। मोदी सरकार ने सीएसडी कैंटीन से सैनिकों व अधिकारियों द्वारा उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद पर अधिकतम ₹10,000 प्रतिमाह की सीमा निर्धारित कर पाबंदी लगा दी है। साथ ही साल 2017 से मोदी सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि सीएसडी कैंटीन में बिकने वाले सामान पर आधी यानि 50 प्रतिशत दरों पर जीएसटी देना पड़ेगा। मोदी सरकार ने सैनिकों को मिलने वाले ‘‘डिसएबिलिटी पेंशन’’ पर भी टैक्स लगाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा कि सातवें वेतन आयोग में डिफेंस पे मैट्रिक्स में केवल 24 पे लेवल निर्धारित किए गए, जबकि सिविलियन सेवाओं में पे मैट्रिक्स में 40 लेवल है। नतीजा यह है कि सैनिकों व अधिकारियों की पेंशन सिविल एम्प्लॉईज़ से लगभग 20,000 रु. कम निर्धारित होती है। भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव को ₹60,000 डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है, पर सेना के लेफ्टिनेंट जनरल को ₹27,000 डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है। बराबरी की मांग के बावजूद इसे दरकिनार कर दिया गया। भाजपा द्वारा फ़ौज की अनदेखी की इंतहा यह है। उन्होंने कहा कि सेना में हजारों की संख्या में पुरुष व महिला अधिकारी ‘‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’’ के माध्यम से देश सेवा में योगदान देते हैं। इन अधिकारियों को आजीवन मिलिट्री अस्पताल में इलाज की सुविधा थी। मोदी सरकार ने शॉर्ट सर्विस कमीशन पुरुष व महिला अधिकारियों के मिलिट्री अस्पतालों में मुफ्त इलाज पर प्रतिबंध लगा दिया।
Tags:
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

18 Mar 2023 08:25:24
पूरे भारत में मौसम ने एक बार फिर से करवट ले ली है। बता देंकि इस समय बेमौसम की बरसात...
अंतर्राष्ट्रीय

21 Mar 2023 12:34:12
International: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत के लिए मंगलवार सुबह कीव के लिए...
Online Channel
भारत
खबरें

Comment List