समाज निर्माण में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदानः सम्पत पाल

समाज निर्माण में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदानः सम्पत पाल

समाज निर्माण में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदानः सम्पत पाल

बांदा

रविवार को आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से ‘भारतीय समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिकाः वर्तमान परिप्रेक्ष्य में’ विषय में मुख्य वक्ता के रूप में मुख्य वक्ता श्रीमती संपत पाल राष्ट्रीय कमांडर गुलाबी गैंग ने कहा कि महिलाओं को समाज बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होंगी एक सशक्त समाज निर्माण नहीं हो सकता है अपने समाज को सकारात्मक दिशा में निर्माण करने के लिए सर्वप्रथम हमें अपने घर परिवार से शुरुआत करनी होगी नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता महिलाएं शिक्षित होगी समाज सशक्त होगा

नारी के शोषण में नारी का योगदान है, नारी बेटी बहू सास तीन रूप धारण करती है नारी को इन तीनों रूप को समझते हुए अपने अपने कर्तव्य को पालन करना चाहिए जिससे नारी ही नारी का शोषण न करें बहू,सास बनती है तो वही सास अपने बहू का शोषण करती है
इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने नारी शिक्षा स्वास्थ्य पर विशेष फोकस किया नारियों की शिक्षा स्वास्थ्य पर सरकार को अधिक जोर देना चाहिए।
कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में डा.मोनिषा सिंह (गृह विज्ञान) विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, ने कहा कि वैदिक काल में जिस प्रकार से महिलाओं को सम्मान था आज 21वीं सदी में फिर से महिलाओं का सम्मान बढ़ा है और भारत में लिंगानुपात भी बढ़ने की खबर आ रही हैं आज वर्तमान काल में लड़कियों के साथ ही साथ लड़कों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने की आवश्यकता है लड़कों से पूछने की आवश्यकता है कि आप रात को 10 बजे कहां गए थे? अगर इस देश में पुरुष वर्ग महिलाओं को सम्मान और अपनी बेटी, बहन, बहु के रुप में देखने लगेगा तो निश्चित ही महिलाएं सुरक्षित रहेंगी. महिलाओं को अपनी आवाज खुद उठानी होगी अपनी बातों को अपने मंचों से शेयर करना होगा आज वर्तमान में महिलाएं सभी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो राजनीति क्षेत्र हो सामाजिक क्षेत्र में. इसके अलावा बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ महिलाएं हो रही हैं।
महिलाओं में आमूलचूल परिवर्तन सकारात्मक दिशा में पाया जा रहा हैं। महिलाओं को वैशाखी देने की आवश्यकता नहीं हैं महिलाओं को सम्मान देने की आवश्यकता हैं महिलाओं को पुरुषों की बराबरी लाने की बात नहीं महिलाएं वैसे भी पुरुषों से अधिक है सृष्टि सर्जन करने वाली महिलाएं ही है पित्रसत्ता सोच को कम करने की आवश्यकता है।कार्यक्रम का संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रामबाबू तिवारी ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ अंजली केसरी, देबांजना, संजीव,सौरभ मिश्रा,ध्रुव मौर्य,अनामिका पाठक,रजनीश,विपिन मिश्रा,मुकेश,प्रो सत्या,अशीष सिंह, प्रवीण शांति प्रियांशु राजकुमार जादौन, कृष्ण कुमार तिवारी आदि लोग मौजूद थे।
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