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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

नक्श नैन राधिका के है मोहन को भाए

नक्श नैन राधिका के है मोहन को भाए कविता     नक्श नैन राधिका के है मोहन को भाए चंचल ठहरे हमरे कान्हा जो राधिका को चाहे पुकार सुन्नत गोपियो की फिर भी ना पनघट पर आये मगर एक झलक देखन को "प्यारी की" बरसाने छलिया बनकर जाये    सुनते ही...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नीl सच्चे मित्र की पहचान ।

संजीव-नीl सच्चे मित्र की पहचान । संजीव-नीl सच्चे मित्र की पहचान ।    सच्चे मित्र की पहचान जो शांति के दे पैगाम, वक्त में जो काम आए वह सच्चा मित्र होता है।    साथ साथ जो कंधे  से कंधा मिलाकर पसीना बहाए, वह अच्छा मित्र होता है।   मित्र...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल।

संजीव-नी। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल। स्वतंत्र प्रभात     संजीव-नी। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल।    मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल बदले, अब तक तो कभी खंजर कभी कातिल बदले।    जिंदगी किस्तों में गुजर गई तो क्या, जितने हमदर्द थे सारे शामिल बदले।।   लहरें...
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कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो।

कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो। संजीव-नी। कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो।    कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो। अपनी सांसों में छुपा रखता है वो।    रोजाना रूबरू हो न नहो फिर भी।  जेहन में बसा रखता है वो।    कितनी मासूम है माशूका शायद । जाते...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

अतिरिक्त

अतिरिक्त    तुम चेहरे की मुस्कुराहट पर मत जाओ बहुत गम होते हैं सीने में दफन।तुम झूठी वफाओं में मत आओबहुत ख़्वाब होते हैंआधे अधूरे से।तुम इन सिमटी हुईनिगाहों पर मत जाओबहुत कुछ बिखरा हुआ होता...
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