hihindi kavita
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Read More... संजीव-नी| देख कर भी नही देख पाया ।
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By Office Desk Lucknow
देख कर भी नही देख पाया ।फिर उस बात का जिक्लौटकर भुला नहीं पायाउस पल की याद है उसेजिया नहीं जिसे कभी,भोगा भी नहीं,जीने की जरूर कोशिश कीगहरे नहीं पैठ पाया,फिर भूल... नक्श नैन राधिका के है मोहन को भाए
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By Office Desk Lucknow
कविता नक्श नैन राधिका के है मोहन को भाए चंचल ठहरे हमरे कान्हा जो राधिका को चाहे पुकार सुन्नत गोपियो की फिर भी ना पनघट पर आये मगर एक झलक देखन को "प्यारी की" बरसाने छलिया बनकर जाये सुनते ही... संजीव-नीl सच्चे मित्र की पहचान ।
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नीl सच्चे मित्र की पहचान । सच्चे मित्र की पहचान जो शांति के दे पैगाम, वक्त में जो काम आए वह सच्चा मित्र होता है। साथ साथ जो कंधे से कंधा मिलाकर पसीना बहाए, वह अच्छा मित्र होता है। मित्र... संजीव-नी। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल।
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By Swatantra Prabhat Desk
स्वतंत्र प्रभात संजीव-नी। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल। मशवरा है कि तेरे शहर की महफिल बदले, अब तक तो कभी खंजर कभी कातिल बदले। जिंदगी किस्तों में गुजर गई तो क्या, जितने हमदर्द थे सारे शामिल बदले।। लहरें... कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो। कितना अजनबी,पराया सा दिखता है वो। अपनी सांसों में छुपा रखता है वो। रोजाना रूबरू हो न नहो फिर भी। जेहन में बसा रखता है वो। कितनी मासूम है माशूका शायद । जाते... अतिरिक्त
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By Swatantra Prabhat Desk
तुम चेहरे की मुस्कुराहट पर मत जाओ बहुत गम होते हैं सीने में दफन।तुम झूठी वफाओं में मत आओबहुत ख़्वाब होते हैंआधे अधूरे से।तुम इन सिमटी हुईनिगाहों पर मत जाओबहुत कुछ बिखरा हुआ होता... 