जान को जोखिम में डालकर ग्रामीण आवागमन के लिए मजबूर
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प्रशासन कब तक अपनी आंखें खोलता है शायद किसी घटना व दुर्घटना का होने के बाद ही प्रशासन अपनी चुप्पी तोड़कर इस पर कोई तत्काल कार्यवाही करेंगे जान को जोखिम में डालकर ग्रामीण आवागमन के लिए मजबूर
स्वतंत्र प्रभात
गड्ढे के बगल एक पतले से पगडंडी से अपनी जान को जोखिम में डालते हुए आवागमन करने को मजबूर हैं जिला प्रशासन व रेलवे विभाग को आम जनमानस की यह दुर्दशा शायद दिखाई नहीं दे रही है जहां एक तरफ ग्रामीण सभी विभागों का चक्कर काट रहे हैं और लगभग 2 से 3 मह के संघर्ष के बाद मार्ग निर्माण व मरम्मत का आदेश हुआ है पर वर्तमान समय की इस दयनीय स्थिति से निपटने के लिए ग्रामीण अपनी जान को जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं इस पर प्रशासन मौन है और कागजी कार्यवाही करके मामले को निस्तारित दिखा रहे हैं देखना है कब तक ग्रामीण इस प्रकार से आवागमन करते हैं
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