नियम कानून ताक पर रख देवरान में हो रही आरामशीन संचालित
On
आठ-आठ घण्टों की चार सिफ्टों में होता है काम वन विभाग की मेहरबानी से चल रहा है यह गोरखधन्धा बिना पंजीयन के बेची जा रही है आरामशीन से लकड़ी ललितपुर। जनपद में नियम कानूनों को ताक पर रखकर आरामशीनों का संचालन किया जा रहा है। कई स्थानों पर रात दिन आरामशीनें संचालित की जाती हैं।
आठ-आठ घण्टों की चार सिफ्टों में होता है काम
वन विभाग की मेहरबानी से चल रहा है यह गोरखधन्धा
बिना पंजीयन के बेची जा रही है आरामशीन से लकड़ी
ललितपुर।
जनपद में नियम कानूनों को ताक पर रखकर
आरामशीनों का संचालन किया जा रहा है। कई स्थानों पर रात दिन आरामशीनें संचालित की जाती हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी खबर वन विभाग को न हो, विभाग की मौन स्वीकृति पर ही यह गोरखधन्धा चल रहा है। जिसमें बार रेंज के देवरान में तो खुलेआम अवैध चिरान हो रहा है।
जनपद में आठ आरामशीनें हैं, लेकिन इनके मुकावले मात्र एक आरामशीन हैं, जो बार रेंज अन्तर्गत देवरान में स्थापित हैं। इस आरामशीन का पाहिया नहीं रूकता है। यह आरामशीन 24 घण्टे संचालित होती है। आठ-आठ घण्टों की सिफ्ट में कर्मचारी बदलते हैं। जबकि शासनादेश के तहत शाम 6 बजे के बाद आरामशीन संचालित नहीं की जा सकती है। परन्तु इस आरामशीन पर यह कानून लागू नहीं होता है। सूत्रों की मानें तो बार पुलिस व वन विभाग से आरामशीन संचालक अच्छी साँठ-गाँठ है। इसलिए यह हमेशा उन पर मेहरबान बने रहते हैं। बताते चलें कि आरामशीन संचालक के पास कई ट्रैक्टर व कुशल श्रमिक हैं। साथ ही आरामशीन की त्रिज्या में कई जमीनें हैं।
जहाँ वह अवैध कटान से आयी लकड़ी रखता है। मशीन पर आवश्यकता के अनुसार लकड़ी पहुंच जाती है। मजेदार बात तो यह है कि सुबह के समय आरामशीन पर जलावन लकड़ी नहीं मिलती है। उक्त आरामशीन पर दिन में ग्राहकों की लकड़ी का रिचारा होता हे। यहाँ पर ग्राहकों को आर्डन के अनुसार चिरान कर लकड़ी दी जाती है। स्टॉक आरामशीन पर नहीं रखा जाता है। आरामशीन संचालक का नेटवर्क इतना तड़ा है कि कोई भी ठेकेदार उनके क्षेत्र से लकड़ी कटवाकर नहीं जा सकता है। उसकी लकड़ी पकड़वा दी जाती है, भले ही वह वैध हो, या फिर गैर प्रतिबन्धित हो।
साथ ही उक्त ठेकेदार पर कई हजार रूपया जुर्माना भी लगवा दिया जाता है। जिससे कोई ठेकेदार दुवारा लकड़ी कटवाने की जुर्रत नहीं कर पाता है। आरामशीन संचालक द्वारा क्षेत्र के हर वर्ष हजारों हरे भरे पेड़ जो सरकार द्वारा प्रतिबंधित हैं, कटवा दिये जाते हैं। आरामशीन संचालक के पास हर तरह की लकड़ी काटने की मशीने हैं। जो घण्टों का मिनटों में हो जाता है। अगर शीघ्र ही आरामशीन संचालक के अवैध कटान पर रोक नहीं लगाई गयी,
तो बार रेंज में पेड़ों का अकाल आ जायेगा। जनपद में जितनी चिरान आठ आरामशीनों पर होती है, उतनी यह आरामशीन अकेले करती है। साथ ही बिना पंजीयनप के बिक्री करने के कारण बिक्री कर विभाग को लाखों रुपये की चपत लगायी जा रही है। जबकि विभाग से पेड़ कटाने के लिए उक्त संचालक द्वारा परमिट भी नहीं लिये जाते हैं। इससे पता चलाता है कि विभाग उक्त आरामशीन पर कितना मेहरबार है।
Tags:
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
18 Mar 2025 14:10:45
जम्मू: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू को हथियार लाइसेंस घोटाले के सिलसिले में तीन भारतीय...
अंतर्राष्ट्रीय
18 Mar 2025 16:26:31
LUCKNOW जो संगीता कुरियाल (पत्नी मनोज कुरियाल, कर्मचारी POCT SERVICES) के नाम पर रजिस्टर्ड है पर उसका सञ्चालन कुख्यात शातिर...
Online Channel

शिक्षा
राज्य

Comment List