Haryana: हरियाणा में तहसीलदार समेत 13 दोषियों को सजा, जानें क्या है पूरा मामला
Haryana News: हरियाणा के करनाल जिले में बहुचर्चित नीलोखेड़ी के अरजाहेड़ी गांव सरकारी भूमि घोटाले में अदालत ने बड़ा और सख्त फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट खुशबू गोयल की कोर्ट ने तहसीलदार समेत 13 दोषियों को अलग-अलग धाराओं में 5 से 7 साल की साधारण कैद और प्रत्येक पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला सरकारी जमीन को हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने, राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से जुड़ा था।
कोर्ट का सख्त रुख
क्या सजा सुनाई गई
कोर्ट ने सभी दोषियों को विभिन्न अपराधों के लिए 5 से 7 वर्ष तक की साधारण कैद की सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा प्रत्येक दोषी पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न देने की स्थिति में अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच या ट्रायल के दौरान जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
कुल 5.20 लाख रुपये का जुर्माना
अदालत के आदेश के अनुसार, सभी दोषियों से कुल 5 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। इसे राज्य को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट ने सजा के वारंट तुरंत तैयार करने और दोषियों को फैसले की प्रति नि:शुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
एक आरोपी फरार, फाइल सुरक्षित
मामले में एक आरोपी पृक्षित अभी फरार है और उसे घोषित अपराधी (पीओ) बताया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि उसकी गिरफ्तारी तक केस फाइल सुरक्षित रखी जाए, ताकि भविष्य में उसकी पेशी होने पर मुकदमे को फिर से बहाल किया जा सके।
12 साल चला मुकदमा, नहीं मिली राहत
करीब 12 साल तक चले इस मुकदमे में दोषियों ने उम्र, बीमारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देकर सजा में रियायत की मांग की। हालांकि कोर्ट ने साफ कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए दया दिखाना गलत संदेश देगा। अदालत ने माना कि सरकारी जमीन को हड़पने की साजिश राज्य और समाज दोनों के लिए घातक है।
दोषियों के नाम
इस मामले में जिन 13 लोगों को दोषी ठहराया गया, उनमें जय सिंह, ईश्वरी देवी, हरीश कुमार, कुलजीत सिंह डाहिया, करमबीर उर्फ करमवीर, राजेंद्र पाल, ईश्वर सिंह पुत्र दीपचंद, करम सिंह, जसपाल, डालेल सिंह, देश राज, ईश्वर सिंह नंबरदार और राज कुमार उर्फ राजू शामिल हैं।
क्या था पूरा मामला
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, सरकारी जमीन को निजी बताकर उस पर अवैध कब्जा कराने के लिए फर्जी आवंटन पत्र और खरीद-फरोख्त के दस्तावेज तैयार किए गए। राजस्व रिकॉर्ड में जानबूझकर गलत बदलाव किए गए। जांच में पंचायत स्तर से लेकर राजस्व विभाग और दस्तावेज लेखकों तक की मिलीभगत सामने आई। कोर्ट ने इसे सुनियोजित आपराधिक साजिश करार दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि सरकारी जमीन की रक्षा करना न्यायपालिका की जिम्मेदारी है। फर्जी दस्तावेजों और साजिश के जरिए जमीन हड़पना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर सीधा हमला है। ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है।
कुल 16 लोग थे शामिल
पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमृतपाल सिंह ने बताया कि इस मामले में कुल 16 लोग आरोपी थे। इनमें से दो आरोपियों रामप्रसाद और नानकी देवी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक आरोपी पृक्षित फरार है। शेष 13 को अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है।


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