आखिर....... क्या खंड विकास अधिकारी अथवा पशु चिकित्सा अधिकारी के लापरवाही के चलते सहभागिता योजना का नहीं मिल पा रहा लाभ

सहभागिता योजना के तहत गोवंश ले जाने वाले किसानों के खाते में कई माह से नहीं भेजा गया धनराशि आखिर किसकी लापरवाही.....

आखिर....... क्या खंड विकास अधिकारी अथवा पशु चिकित्सा अधिकारी के लापरवाही के चलते सहभागिता योजना का नहीं मिल पा रहा लाभ

सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लापरवाह अधिकारियों के चलते नहीं मिल पा रहा लाभ

आखिर कही लोकसभा चुनाव में इन्हीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते अंबेडकर नगर में भाजपा का तो नही हुआ सूपड़ा साफ
अंबेडकरनगर। सरकार द्वारा आम जनमानस के हित के लिए समय-समय पर विभिन्न योजनाएं चलाकर उन्हें लाभ देने का काम सरकारी तंत्र के माध्यम से किया जाता रहा है ताकि आम जनमानस को योजनाओं का सीधे लाभ मिल सके साथ ही सरकार टीवी चैनल, अखबार, कैंप के माध्यम से इसका भरपूर प्रचार प्रचार कराती है ताकि अधिक से अधिक लोगों को सरकार द्वारा क्रियान्वित हो रही योजनाओं का लाभ उनका समय से मिल सके तथा उसमें होने वाले दिक्कतों के समाधान के लिए इसकी जिम्मेदारी भी विभाग के अनुसार विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों को सौंपी गई है।
 
लेकिन इसके बावजूद भी अधिकारियों कर्मचारियों के लापरवाही के चलते आम जनमानस को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ताजा मामला विकासखंड कटेहरी से संबंधित है जहां पर किसानों ने सहभागिता योजना के तहत पशु चिकित्सालय कटेहरी में शपथ पत्र के साथ अपना संपूर्ण कागजात जमा करने के बाद गोवंश अपने घर पालने के लिए ले गए थे जिनका पालन पोषण किसानों के द्वारा किया जा रहा है लेकिन उनके खाते में पहुंचने वाली धनराशि कई महीने से नहीं भेजी गई है। आखिर इसमें पशु चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही या फिर खंड विकास अधिकारी की लापरवाही समझी जाए।
 
फिर हाल पशु चिकित्सा अधिकारी कटेहरी ओम प्रकाश के ऊपर एक किसान ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि पशु चिकित्सा अधिकारी के द्वारा पैसे की मांग की गई थी उसके द्वारा पैसा नहीं दिया गया तो सहभागिता योजना के तहत मिलने वाली धनराशि अभी तक नहीं पहुँच पाई है। इस पूरे आरोप को पशु चिकित्सा अधिकारी ने निराधार बताया है।
 
पैसे भेजने की क्या है प्रक्रिया, जानकारी के मुताबिक
पशु चिकित्सा अधिकारी के द्वारा किसानों के पशुओं का हर महीने सत्यापन करने के बाद उनकी लिस्ट खंड विकास अधिकारी को प्रेषित की जाती है। जिसके आधार पर खंड विकास अधिकारी ग्राम सभा के गोवंश पालक किसानो को संबंधित गाँव के सचिव के माध्यम से उनके खाते में धनराशि भिजवाई जाती है। लेकिन बीते सितंबर माह से शासन की तरफ से नई गाइडलाइंस जारी होने पर अब पशुओं के सत्यापन का काम सम्बंधित गाँव के सचिव को हो गई है। जिनके द्वारा ऐप के माध्यम से ऑनलाइन डाटा जिओ टैग के साथ पशुओं का अपलोड करना पड़ता है।
 
आखिर क्या है इसमें कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि पशु चिकित्सा अधिकारी ओम प्रकाश के द्वारा खंड विकास अधिकारी प्रमोद कुमार को सहभागिता योजना के लाभान्वित किसानो की सूची भेजी गई है या फिर नहीं अगर भेजी गई है तो खंड विकास अधिकारी के द्वारा उन गोवंश रक्षको के खातों में अब तक पैसा क्यों नहीं भिजवाया गया यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है। सहभागिता योजना के तहत गौशाला  से गाय ले जाने वाले कई किसानों से बात किया गया तो उनके द्वारा बताया गया की कई माह से उनके खाते में धनराशि नहीं भेजी गई है। आखिर सरकार के द्वारा संचालित हो रही इतनी बड़ी योजना का लाभ अब तक इन अधिकारियों के लापरवाही के चलते नहीं मिल पाई यही समझा जा सकता है।
 
कहीं सरकार द्वारा संचालित हो रही योजनाओं का लाभ न मिलने कारण  लोकसभा चुनाव तो नहीं हार गई भाजपा
अंबेडकर नगर लोकसभा  चुनाव में भाजपा का हार का कारण कहीं इन अधिकारियों के लापरवाही का कारण तो नहीं बन गई जिनके द्वारा सरकार के द्वारा संचालित हो रही सैकड़ो योजनाओं का लाभ आम जनमानस को सही से नही मिला सका। शिकायतों के बाद भी उसका निस्तारण फर्जी तरीके से उच्च अधिकारियों को गुमराह कर कर दिया जाता था।
जनपद में बहुत सारे ऐसे भ्रष्टाचार के मामले मीडिया की सुर्खियों में आए लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं हुई धीरे-धीरे मामला ठंडा बस्ते में चल गया। पीड़ित भी अधिकारियों और कर्मचारियों के चौखट का चक्कर काट कर थक हार गया अंत में उसे कुंडली मारकर घर बैठना पड़ा है। जनपद का कोई ऐसा विभाग अछूता नहीं है जहां पर जमकर भ्रष्टाचार नहीं हुआ हो और उसमें संबंधित अधिकारी अपने कर्मचारियों को हमेशा दोषी पाए जाने के बाद भी बचाने का प्रयास न किया गया हो।
 
खंड विकास अधिकारी ने क्या कहा
वही जब इस विषय में खंड विकास अधिकारी प्रमोद कुमार से बात किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि पशुओं का जियो टैगिंग करने के लिए संबंधित लाभार्थी किसानों के ग्राम सभा के सचिव को बोला गया है जियो टैगिंग होने के बाद उनके खातों में धनराशि भेजी जाएगी।
 
 
पशु चिकित्सा अधिकारी कटेहरी ने क्या कहा
पशु चिकित्सा अधिकारी कटेहरी ओमप्रकाश ने बताया कि हमारे यहां से सारी प्रक्रिया पूरी करके ब्लाक स्तर पर भेज दी गई है। नए नियमावली के अनुसार संबंधित गांव के सचिव के द्वारा ऐप के माध्यम से पशुओं के जीवित होने व टैग नंबर को ऐप के माध्यम से अपलोड करना होता है। लाभार्थी किसानों की सूची ब्लॉक अनुसार निकालने के बाद विकास भवन जमा करना पड़ता है जहां मुख्य विकास अधिकारी व मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के हस्ताक्षर होने के बाद डीबीटी के लिए पशुपालन विभाग लखनऊ भेज दिया जाता है जहां से धनराशि किसानों के खातों में भेजी जाती है।
 
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने क्या कहा
वही जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से वार्ता करने का प्रयास किया गया था उनका फोन व्यस्त होने के कारण वार्ता नहीं हो पाया।

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