Italy में मेलोनी ने की खास तैयारी जी-7 दिखेगी मोदी 3.0 की धमक

Italy में मेलोनी ने की खास तैयारी जी-7 दिखेगी मोदी 3.0 की धमक

International Desk

इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जून को 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। ये सम्मेलन इटली के अपूलिया में आयोजित किया गया है। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उनकी ये पहली विदेश यात्रा है। इससे भारत के साथ साथ ग्लोबल साउथ के मुद्दों पर भी दुनिया के बड़े नेताओं के साथ उन्हें जुड़ने का मौका मिलेगा। जी7 सम्मेलन में भाग लेने आए बहुत सारे देशों के राष्ट्राध्यक्ष से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात और वार्ता होनी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और दक्षिण अफ्रीका समस्या जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे। इसके साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध के हालात पर भी गंभीर मंथन होना है। 

नेताओं का आगमन शुरू हुआ 
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने 50वें G7 शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का स्वागत किया। इटली की राष्ट्रपति जियोर्जिया मेलोनी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल का स्वागत किया। वे 50वें जी7 शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे हैं। सेवेलेट्री डि फसानो: इटली की राष्ट्रपति जियोर्जिया मेलोनी ने यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का स्वागत किया, जब वे 50वें जी7 शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे। इटली की राष्ट्रपति जियोर्जिया मेलोनी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल का स्वागत किया।  

जी-7 में इटली के साथ द्विपक्षीय वार्ता 
विदेश सचिव के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की इटली के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा कि हमने हमेशा यह माना है कि यूक्रेन विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति ही सबसे अच्छा विकल्प है। जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए  नई दिल्ली दिल्ली के प्रयासों की बढ़ती मान्यता को दर्शाती है। भारत स्विटजरलैंड में होने वाले शांति शिखर सम्मेलन में उपयुक्त स्तर पर भाग लेगा। 

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क्या G7 है?
जी7 की शुरुआत 1973 में पेरिस, फ्रांस में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक से हुई थी। यह बैठक उस समय की प्रमुख आर्थिक चुनौतियों तेल संकट, बढ़ती मुद्रास्फीति और ब्रेटन वुड्स प्रणाली के पतन - के जवाब में बुलाई गई थी। इसके तहत सोने के मुकाबले अमेरिकी डॉलर का मूल्य तय किया गया। बदले में अन्य वैश्विक मुद्राओं ने अपने मूल्यों को डॉलर से जोड़ दिया। लेकिन समय के साथ, यह देखा गया कि डॉलर का मूल्य निर्धारित दर से अधिक हो गया है।

 इसलिए, विनिमय दरों के लिए एक नया तंत्र तैयार करना पड़ा और इसके लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता थी। इस प्रकार, एक मंच का विचार पैदा हुआ, जहां प्रमुख औद्योगिक लोकतंत्र आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए आर्थिक नीतियों का समन्वय कर सकें। पहला G7 शिखर सम्मेलन 1975 में फ्रांस के रैम्बौइलेट में आयोजित किया गया था। 1977 से यूरोपीय आर्थिक समुदाय, अब यूरोपीय संघ, के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया है। 1998 में रूस के शामिल होने से समूह का विस्तार जी8 में हो गया, लेकिन क्रीमिया पर कब्जे के बाद 2014 में इसकी सदस्यता निलंबित कर दी गई। 

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