रेशम कीट पालन को लेकर दिखा विभागीय भ्र्ष्टाचार रेशम कीट पालक पर किया जा रहा अत्याचार

बघेलखण्ड रेशम कीट पालन सेंटर पर कीट पालको ने लगाए वसूली का आरोप 

रेशम कीट पालन को लेकर दिखा विभागीय भ्र्ष्टाचार रेशम कीट पालक पर किया जा रहा अत्याचार

सरकारी अनुदान राशि मे भी रेशम कीट पालन के जिम्मेदारों ने किया आधा का बटवारा 

रेशम के कीटों द्वारा रेशम के धागे का उत्पादन किया जाता है और इस प्रक्रिया को ‘रेशमकीट पालन’ या सेरीकल्चर के नाम से जाना जाता है। रेशम की खेती वर्तामन में अन्य फसलों की खेती की तुलना में बहुमूल्य खेती मानी जाती है। बाजार में रेशम की उच्च कीमत और बढ़ती मांग की वजह से आज के समय में यह कृषि आधारित उद्योग बन कर सामने आ रहा है।  
 
वहीँ सरकार भी रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई अहम् कदम उठा रही है। बता दें साल 2021 में भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने रेशम कीट पालन को प्रोत्साहित करने के लिए रेशम समग्र: रेशम उद्योग के विकास के लिए एकीकृत योजना – 2 को संचालित किया है। जिसका उद्देश्य रेशम की खेती करने वाले किसानों की आजीविका में सुधार करना और देश के रेशम उद्योग के विस्तार और विकास को बढ़ावा देना है।
 
लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार का आलम तो यह है की तमाम सरकारी योजनाएं जो की किसानों को मिलनी चाहिए उन तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं और इसका लाभ जिनको मिलना चाहिए उनको नहीं मिल पाता है। अगर बात की जाए रेशन कीट पालन की जिसको सरकार ने उद्योग का दर्जा दिया है और रेशम कीट पालन करने वाले किसानों को सरकारी अनुदान देकर उनको रेशम कीट पालन के लिए प्रेरित किया जाता है लेकिन यहां तो योजना भ्र्ष्टाचार के भेंट चढ़ने की बात देखी जा रही है और जो बात सामने आ रही है। 
 
उसमें अवैध वसूली करने की जानकारी प्राप्त हुई जिसमे सेंटर बघेलखण्ड के अधिकारियों के द्वारा विभाग के ही दो लोगों को तैनात किया हुआ है जिनमे एक माली व दूसरा बाबू है । अनुदान की राशि खाते में आने से पेमेंट तक में आधा देना होता है तभी फाइल पास होती है । और न देने पर अपात्र की श्रेणी में डाल कर किताब बंद कर दिया जाता है । इसके साथ सरकार द्वारा जिनको लाभ मिलनी चाहिए उनको नहीं मिलता है सब विभागीय बंदरबाट के भेंट हो जाता है। 
 
रेशम कीट पालन के लिए शहतूत की खेती की बात सामने आ रही है इसमें विभाग के द्वारा पौधों के रूप में किसानों को दिया जाता है जिसके लिए 75 प्रतिशत सरकार सब्सिडी देकर उन्हें प्रोत्साहित करती है लेकिन देखा जा रहा है तमाम जगह पर लगाए गए शहतूत के पौधे या तो सूख जाते हैं या पशुओं के चारों के रूप में प्रयोग हो जाते हैं और बुवाई के समय खेत का फोटू शूट करवाया जाता जो विभाग के पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता जबकिं हकीकत यह है कि किसान खेत खाली कर दूसरी फैसले बोना शुरू कर देते हैं इसके साथ योजना 2 के माध्यम से रेशम कीट पालन के लिए कमरे बनवाने के लिए सरकारी अनुदान दिया जाने की बात सामने आई है। 
 
इसमें लाभार्थियों ने बताया कि 3,20000 की राशि तीन किस्तों में मिलना होता है जो बैंकों के माध्यम से होता है जिसकी पहली किस्त आ चुकी है जिस में से आधा रेशम कीट पालन केंद्र बघेलखंड के अधिकारियों को देना होता है इसको लेकर वहां तैनात कर्मचारियों के माध्यम से पैसा वसूला जाता है और पैसा ना देने पर योजनाओं का लाभ न देने की बात की जाती है जिसमे बघेलखण्ड, महदैया,बंगाई के लाभार्थियों को मिलने की स्थानीय लोगो ने जानकारी दी है जिनसे आधा वसूला गया है। 
 
वही नए उपकरण की जगह पुराने उपकरण भी दिया गया और नया माल गायब है जबकि बताया जा रहा कि रेशम कीट पालन में पम्पिंग सेट,सोलर,पाइपलाइन मिलना चाहिए लेकिन नही दिया गया जिनको मिला भी वह पुराना मिला जो किसी काम का नही। जबकिं कागजो में सब कुछ बढ़िया चल रहा है और रेशम कीट पालन उधोग को बढावा मिल रहा जबकिं अगर जांच की जाय तो सब कुछ सामने होगा ।
 

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