जिले का बसखारी पुलिस से है अपराधियों से रोजी-रोटी का साथ इसलिए नहीं करती कार्यवाई 

क्योंकि पत्रकारों के मामले में नहीं हो पाती है लक्ष्मी दर्शन  हाई कोर्ट के नियम को पूरा निगल गई बसखारी पुलिस 

जिले का बसखारी पुलिस से है अपराधियों से रोजी-रोटी का साथ इसलिए नहीं करती कार्यवाई 

कहीं यूपी में बीजेपी के हार का कारण तो नहीं बन रहे ऐसे भ्रष्ट अधिकारी  पत्रकार को जान से मारने की धमकी और तीन दिन बाद मुकदमा वह भी मामूली धारा में  कहीं आशुतोष श्री वास्तव जैसा कांड का तो इंतजार नहीं कर रहे किछौछा बसखारी चौकी इंचार्ज व पुलिस

बसखारी अम्बेडकरनगर। पूरा मामला बसखारी थानान्तर्गत  बसखारी बाजार के जलालपुर मुख्य मार्ग पर स्थित कबाड़ के बेताज बादशाह गुड्डू रब्बानी कबाड़ी से सम्बंधित है कुछ दिन पहले कबाड़ से संबंधित खबर प्रकाशित हुई। जिसमें गुड्डू कबाड़ी का नाम आया क्योंकि सड़क पर आते जाते कोई भी देख सकता है इस बादशाह की फैली विरासत,ज्यादा मात्रा में फैली पुरानी गाड़ियों के कल पुर्जे जिससे स्पष्ट होता है कि गुड्डू कबाड़ी द्वारा गाड़ियों का स्क्रैप बड़े पैमाने पर किया जाता है और कोई शक भी नहीं है क्योंकि जांच के दौरान गाड़ी स्क्रेपिंग की चर्चा बसखारी थाने की किछौछा चौकी इंचार्ज प्रियंका मिश्रा द्वारा पूर्व में किया जा चुका है। 
 
लेकिन किछौछा चौकी इंचार्ज प्रियंका मिश्रा द्वारा गाड़ी के स्क्रैप को लिखित में वैध बताया गया लेकिन अम्बेडकरनगर सम्भागीय परिवहन विभाग द्वारा जनसूचना के माध्यम से बताया गया कि जिले में किसी के पास गाड़ी स्क्रैप करने का लाइसेंस अभी तक नहीं जारी हुआ है इससे स्पष्ट होता है कि बसखारी गुड्डू कबाड़ी द्वारा स्क्रैप का कार्य बसखारी थाने में लक्ष्मी पूजनोपरान्त ही हो रहा है और जहां तक इस अवैध काम के रूप में बेताज बादशाह द्वारा थाने पर पूजा जरूर की जाती होगी तभी तो प्रियंका मिश्रा द्वारा लिखित तौर पर इस अवैध कार्य को सही ठहराया जा रहा है।
 
अब बात करते हैं थानाध्यक्ष बसखारी के भूमिका के बारे में, खबर चलने से क्षुब्द कबाड़ का बेताज बादशाह द्वारा विगत दिनों पत्रकार के निजी आवास पर जाकर जान से मारने की धमकी दी गई इस पर पत्रकार द्वारा बसखारी थाना में पूरे मामले की लिखित शिकायत की जाती है शिकायत करने के तीन दिन बाद थानाध्यक्ष द्वारा साधारण धारा में मुकदमा दर्ज किया जाता है ओ भी साधारण धारा में और ऐसी धारा जिससे आसानी से जमानत मिल जाए जबकि पत्रकारों के हितार्थ सुप्रीम कोर्ट का नियम और मोदी जी योगी जी की टिप्पणी बसखारी थानाध्यक्ष को क्या नहीं पता है।
 
हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद पीएम और सीएम का भी ऐलान आया कि,पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50,000 का जुर्माना एवं पत्रकारों से बदसलूकी करने पर हो सकती है 3 साल की जेल पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत। "जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नहीं हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं पर वे भीड़ का हिस्सा नहीं होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है।"जो संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है।क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है बल्कि इससे ठेस भी पहुंचती है।
 
अगर बसखारी पुलिस की कार्यशैली पर नजर डाला जाए तो जिस तरीके से गुड्डू रब्बानी बसखारी में कबाड़ का बेताज बादशाह को बसखारी थाने द्वारा बचाया जा रहा और कबाड़ी द्वारा पत्रकार के घर पर चढ़कर धमकी दिया जा रहा है और इतना ही नहीं पत्रकार द्वारा शिकायत करने पर इस बीच मुकदमा तीन दिन बाद दर्ज करना बसखारी पुलिस इसको क्या समझा जाए और इतना ही नहीं शिकायत करने के तुरंत मुकदमा तो दर्ज नहीं हुआ परन्तु कबाड़ी के बेताज बादशाह को पीस कमेटी के बैठक में बाइज्जत बुलाकर थाना प्रभारी द्वारा समझौता कराने का दबाव जरूर बनाया गया और यही कारण है कि मुकदमा इतना लेट दर्ज हुआ लेकिन थानाध्यक्ष रफा दफा करते हुए साधारण धाराओं में मुकदमा दर्ज कर इत श्री कर दिया ।
 
अगर पुलिस की ऐसे ही कार्य शैली रहा तो पत्रकार शाहगंज आशुतोष हत्या काण्ड जैसा मामला यहां भी हो सकता है शायद पुलिस यही इंतजार कर रही है और ऐसे ही अधिकारी कर्मचारी स्वच्छ निर्मल छवि वाली प्रदेश सरकार की छबि को धूमिल कर रहे हैं।

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