बेटियों की उड़ान को पंख देकर उन्हें सशक्त बनाता है मेजा ऊर्जा निगम
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मेजा प्रयागराज।
एन टी पी सी द्वारा चलाए जा रहे बालिका सशक्तिकरण अभियान 2024 के लिए बालिकाओं के चयन के लिए सभी परियोजना प्रभावित गांवों में सर्वे करवाकर बच्चों की प्रवेश परीक्षा करवाई गई थी।जिनमे से एक बालिका अंशु भी थी।जब अंशु को पता चला कि वह अब एनटीपीसी के स्कूल मे एक महीने तक पढ़ेगी तो उसको यकीन नहीं हुआ। वह अपनी माँ से पूछती है। मम्मी क्या इस एक महीने बाद मेरा दाखिला एनटीपीसी के सेंट जोसफ स्कूल में हो पाएगा।मेरी फीस कैसे भरी जाएगी।यह प्रश्न अंशु की ही तरह अन्य सभी बालिकाओं में भी उठते है। जिसका जवाब उन्हे अभियान के सम्पूर्ण होने पर मिलता है।अंशु कुमारी झड़ियाही गाँव के एक अत्यधिक-गरीब परिवार की बेटी है, जिनका जीवन व्यापन दूसरे के खेतों में मजदूरी करके होता है। अंशु चार भाई-बहनों में तीसरे नम्बर की बेटी है।
अंशु से बड़ी दो बहनें हैं जिन्होने सुविधाओं के अभाव में अपनी प्राथमिक शिक्षा भी नहीं पूरी कर पाई और अब माता-पिता उनके विवाह के बारे मे सोच रहें हैं।मेरा हमेशा से एनटीपीसी के स्कूल में पढ़ने का सपना था।मुझे दीदी की तरह नहीं रहना, मुझे ये मौका मिला है और मैं अब खूब मेहनत करूंगी और डॉक्टर बनूँगी और जैसे एन टी पी सी में हम सभी का मुफ्त इलाज होता है वैसे ही मैं भी सभी का मुफ्त इलाज करूंगी अपने परिवार का नाम रोशन करूंगी। अंशु की ही तरह बाकी सभी बालिकाओं की कहानी भी प्रेरणादायक है जो आसपास के बच्चों में एक नया उत्साह उत्पन्न करती है। ऐसे ही बड़े-बड़े सपने यहाँ हर गाँव हर गली में मिल जाएंगे जिनहे सिर्फ जरूरत है तो सही मार्गदर्शन की और उनके सपनों को सही दिशा दिखने की। जिसका दायित्व मेजा ऊर्जा निगम पिछले 4 वर्षों से निभा रहा है।
मेजा ऊर्जा निगम प्रयागराज से लगभग 50 किलोमीटर दूर कोहड़ार गाँव के पथरीले इलाकों में स्थित है।जहां सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों के बाद भी लोग रूढ़िवादी मानसिकता से अभी तक नहीं उभर पाए हैं। जिनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए एनटीपीसी मेजा द्वारा कई ऐसी पहलों को आगे बढ़ाया जाता है जिससे लोग अपने जीवन को और बेहतर तरीके से जी सकें।यहाँ बालिकाओं के विकास में कई समस्याए रहती हैं जैसे उनका कम उम्र में शादी हो जाना ज्यादा पढ़ाई न कराना घर के काम-काज में ही व्यस्त रखना।
इन सभी समस्याओं के निवारण के लिए एनटीपीसी द्वारा समय-समय पर विभिन्न जागरूकता अभियान चलाए जाते है।विभिन्न तरह के प्रशीक्षण के मौके दिए जाते हैं जिससे कम शिक्षा के बावजूद इलाके की महिलाओं एवं बालिकाओं को आत्म-निर्भर बनाया जा सके।पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि जैसे ही यहाँ गर्मियों का आगमन होता है यहाँ आसपास के गांवो में एक खुशी की लहर छा जाती है।हर घर में बेटियाँ जेम कार्यशाला की प्रवेश परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर देती हैं।माँ-बाप भी अपनी बेटियों को लगातार प्रेरित कर उन्हे पढ़ाते हैं ताकि उनका चयन बालिका सशक्तिकरण कार्यशाला में हो सके और वह अपने साथ-साथ परिवार का भी भविष्य सुधार सके।
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