सिर्फ "राम" नाम के लेखनी से पूरी लंका जल गई लेकिन सुरक्षित रहा बिभीषण का भवन :आचार्य भवानी शंकर मिस्र

राम की महिमा हनुमान जी के भक्ति की कथा सुन भाव विभोर हुए स्रोता

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 ब्यूरो/शत्रुघ्न मणि त्रिपाठी

खजनी /गोरखपुर ।  राम का जीवन चरित्र आदर्श मर्यादा संस्कार का प्रतीक है। राम ने जीवन पर्यंत मर्यादा और संस्कार के साथ विनम्रता को भी नहीं छोड़ा इसीलिए श्रीराम महान पुरुष कहलाए थे। श्रीराम भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। श्रीराम ने भारतीय संस्कृति के आधार पर ही अपने जीवन को जिया और संसार को एक आदर्श शिक्षा प्रदान की जो आज भी प्रासंगिक है।

उक्त कथा आचार्य भवानी शंकर मिस्र (धर्माचार्य)  महाराज ने खजनी क्षेत्र ग्राम सभा सेमरडॉडी में संकट मोचन श्री हनुमान जी के प्राण प्रतिष्ठान के अवसर पर हो रहे तीन दिवसीय राम कथा के दौरान कही।
 लगातार तीन दिनों तक शाम 6 बजे से लेकर 9 बजे तक स्रोता राम कथा का रसपान कर ओत प्रोत हुए। 31 मई से प्रारम्भ कथा 2 जून को भण्डारे में शामिल होकर ग्रमीण कथा का आनन्द उठाया । 20240531_195117

ब्यास पीठ पर आसीन   आचार्य भवानी प्रसाद मिश्र ने अंतिम दिन राम कथा के दौरान राम व हनुमान जी के बीच सेवा का वर्णन कर बताए की हनुमानजी ने श्रीराम  से प्रभु मुधिका लेकर सीता की खोज के लिए प्रस्थान किया था। परिवार में कितना ही विवाद हो लेकिन घर परिवार नहीं छोड़ा जाता है। रावण व्याभिचारातम्क गुण था। महिलाएं संस्कारों पर कम दिखावे पर ज्यादा ध्यान देती है, जबकि संस्कारों के साथ ही संस्कृति की सुरक्षा होती है। संस्कारों से ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है। समाज में हम आग लगाने का नहीं आग बुझाने का प्रयास करें। हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने से लंका पूरी जलकर खाक हो गई। लेकिन विभीषण का घर में आग नहीं लगाई थी क्योंकि विभीषण के घर के बाहर श्रीराम लिखा हुआ था, जो श्रीराम का भक्त होता है उसका संकट में भी कु छ नहीं बिगड़ता है।
 ब्यास पीठ पर आसीन आचार्य भवानी महाराज ने श्रीराम कथा में योगदान देने वाले सभी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कार्यकर्ताओं का व्यास पीठ से सम्मान किया। कथा में भरत, शत्रुघ्न, उर्मिला, लक्ष्मण, जटायु, अंगद, सुग्रीव, बाली, जामवंत, अशोक वाटिका, हनुमान की गतिविधियां, राम-रावण संवाद, समुध तट पर वानरों का एकत्रीकरण और राम सेतु निर्माण आदि वानर प्रजाति का रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। सत्यधर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प भी दिलाया।
उक्त कार्यक्रम को गति देने में मुख्य रूप से ग्रामीण का अहम सहयोग रहा ,इसी क्रम में
 राम निधि मिश्र, राम देव मिश्र, शिव शंकर मिश्र, बैजनाथ मिश्र, संजय मिश्र, अजय मिश्र अरूण मिश्र, डाक्टर सुनील मिश्र, सुधीर मिश्र, सचिन मिश्र, वेदप्रकाश मिश्र, श्री केशव मिश्र, राम मिलन मिश्र, समस्त मिश्र परिवार तथा समस्त ग्राम बासी एवं क्षेत्र बासी के सौजय से कार्यकम की समाप्ती हुई।

 

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