सीएमओ साहब गरीबों को मौत के मुह में क्यों भेज रहे बिना पंजीकरण के अस्पताल में बैठे डाक्टर 

आखिर किसके संरक्षण में मेडिकल स्टोरों की आंड मे अवैध क्लीनिक हो रहे संचालित

सीएमओ साहब गरीबों को मौत के मुह में क्यों भेज रहे बिना पंजीकरण के अस्पताल में बैठे डाक्टर 

अहम सवाल ऐसे अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग क्यों नही कर पा रहा कार्यवाही

लखीमपुर खीरी। इस बदलते दौर में डाक्टर को फरिश्ता समझना नासमझी करना मुसीबत को मोल लेना है।सेहत के नाम पर क्या खेल हो रहा है इसकी बानगी बरबर कस्बे मे देखने को मिल रही है।सवाल यह है कि जब इस छोटे से कस्बे के ऐसे हालत है तो बड़े बड़े कस्बो का क्या हाल होगा,ब्लाक पसगवां क्षेत्र के बरबर कस्बे में औरगाबाद रोड,जहनीखेड़ा रोड,गलई रोड पर खत्री मेडिकल सेंटर मे अवैध रूप से सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
 
मेडिकल स्टोर की आड़ मे अवैध रूप से क्लीनिक चलाकर जनमानस के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।इस सम्बन्ध में पसगवां सीएचसी अधीक्षक अश्वनी वर्मा को लगातार सूचना मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है इससे साफ जाहिर होता है की इनके देख रेख में मेडिकल स्टोर की आड़ में हॉस्पिटल चल रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग जानकर अनजान बना हुआ है।
 
स्वास्थ्य विभाग इन मेडिकल स्टोरो की आड़ मे सचालित क्लीनिक पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाया है आखिरकार ऐसे अवैध रूप से संचालित क्लीनिक पर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने से क्यों डर लग रहा है।हालांकि यह कोई ऐसी पहली क्लीनिक नहीं है इस प्रकार की कस्बा बरबर मे कई अवैध नर्सिंग होम पैथोलॉजी तथा मेडिकल स्टोर एव मेडिकल स्टोर के आड मे क्लीनिक का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है।जहाँ जिम्मेदार विभाग भी यह सब जानकर भी विल्कुल अनजान बना बैठा हुआ है।सूत्रों की माने तो अनजान बने क्यों न बैठे रहे जब स्वास्थ्य विभाग जनपद मे संचालित अवैध नर्सिंग होम क्लीनिक मेडिकल स्टोर एव पैथोलॉजी के संचालकों के द्वारा समय समय पर मोटी रकम पहुचाई जाती है।
 
बरबर कस्बे मे मेडिकल स्टोर की आड मे चल रहे क्लीनिकों पर ज्यादातर तो बोर्ड ही नहीं लगाये गये हैं ओर कुछ क्लीनिकों पर लगाए गए बोर्ड पर किसी भी प्रकार का कोई भी रजिस्ट्रेशन नम्बर या किसी अस्पताल से सम्बद्ध है नहीं लिखा है जिसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल स्टोर की आड मे बिना रजिस्ट्रेशन के डाक्टर अपनी दुकान चला रहे हैं।मेडिकल संचालक सुबह से शाम तक मरीजों को देखने का काम करते हैं।
 
इधर ग्रामीणों ने बताया कि कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक डाक्टरी की प्रेक्टिस नहीं कर सकता है साथ ही बताया कि यदि कोई मेडिकल स्टोर के पास स्पेस है तो योग्य डाक्टर किसी भी कमरे मे बैठकर अपनी दुकान चला सकता है और मरीजों को देख सकता है यदि कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक स्टोर पर बैठकर प्रैक्टिस करता है तो उसका जिम्मेदार वह स्वयं है और कोई भी मेडिकल का लाइसेंस लेकर डाक्टर की प्रैक्टिस नहीं कर सकता है।यदि वह ऐसा कर रहा तो गलत है वही बरबर मे बेखौफ ऐसे अवैध का कारोबार फल फूल रहे हैं।
 
 
 

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