दिल्ली में रेल पटरियों पर महीने में 45 लोग जान गवां देते हैं।

दिल्ली में रेल पटरियों पर महीने में 45 लोग जान गवां देते हैं।

स्वतंत्र प्रभात।

एसडी सेठी।  राजधानी दिल्ली की उम्र से लम्बी रेल पटरियों को  सडक की तरह इस्तेमाल करने वाले राहगीर अपनी जिंदगी को मौत के हवाले कर देते हैं। रेल सूत्रो के मुताबिक हफ्ते में करीब 11 से ज्यादा लोग जान गंवा देते हैं। सूत्रो के मुताबिक ट्रेन की चपेट में आकर बीते  साल भर में  करीब 688 लोग अपनी जान गंवा चुके है।इनमें 51 महिलाए और 576 पुरूष शामिल है।अब अगर इस वर्ष की बात करे तो फरवरी,2024 तक 61 लोग ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके है। इनमें महिलाओ की मौत का आंकडा 7 है और जान गंवाने वाले  पुरूषों  की संख्या 54 है। वहीं रेल चपेट में आने से विक्लांग होने वाले भी काफी है।

रेल पटरियों पर दौडती मौत के मामले अधिकतर बडे स्टेशनों पर रेल पटरियों को लांघ कर शाॅट कट अपनाने वाले ज्यादा हैं। इन स्टेशनों में हजरत निजामुद्दीन, दिल्ली कैंट,सब्जी मंडी, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली ,सराय रोहिल्ला,आनंद विहार प्रमुख हैं। वहीं मौत को देने वाले स्टेशनों में छोटे स्टेशन भी पीछे नहीं है। जहां सबसे ज्यादा हादसे गिनती में है। इनमें आदर्श नगर, नरेला, नांगलोई, शाहदरा, घेरा, बिजवासन,औखला, मंगोल पुरी, जैसे स्टेशन प्रमुख है।

Screenshot_20240229_192151_Googleवहीं इन रेल हादसे में पुलिस महकमें के सूत्रों का कहना है कि ट्रेन की चपेट में आने वाले अधिकतर लोग रेलवे ट्रैक के दोनों ओर बसी झोपड पट्टिय है। रेलवे ट्रैक के पास रहने वाले हजारों लोगों का रात बे रात रेल पटरियों पर आवागमन चलता रहता है।  औधौगिक एरिया में काम करने वाले लोग इन्हीं रेल ट्रैक का इस्तेमाल पैदल आवागमन के करते हैं। काम पर जाते और लौटते वक्त वह रेल ट्रैक पर हादसे का शिकार बन जाते है। हालांकि इस बावत पुलिस महकमें के आलाधिकारी का कहना है कि पुलिस और रेलवे पुलिस मिलकर निरंतर का करते रहते हैं।

हादसे वाले क्षेत्रों को बाकायदा चिंहित  किया जाता है। वहीं स्टेशन पर अनाऊंसमेंट कर सचेत करने,साइन बोर्ड लगाकर लोगों को सावधान किया जाता है। रेलवे अथॉरटी से रेलवे ट्रैक पर  झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की सुरक्षा के तहत आवाजाही को रोकने के लिए तार लगाने  और दिवार बनाने की लगातार सिफारिश करते हैं। लेकिन शाॅट कट के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

 लेकिन हद है कि ट्रैक पर आवाजाही के लिए कोई रोक- टोक नहीं है। बस्तियों के आसपास फुटओवर ब्रिज बनाने चाहिए। वहीं रेलवे पटरियों के आस-पास किसी भी झुग्गी बस्ती को बसाने से पहले सख्ती से रोकना चाहिए। तभी रोज-ब-रोज रेलवे ट्रैक पर मरने वालों के हादसे पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाएगा।

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