नारियल के खोल को सक्रियित कार्बन में बदलने की नई विधि

नारियल के खोल को सक्रियित कार्बन में बदलने की नई विधि

सक्रियित कार्बन, कार्बन का एक संसाधित, छिद्रयुक्त संस्करण है जिसका उपयोग विशेषकर एक शोषक के रूप में तथा गैस और जल के शोधन के लिए रासायनिक प्रतिक्रियाओं में किया जाता है।

 

नई दिल्ली, 

 तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय कोयम्बटूर के शोधकर्ताओं ने एक शोध में कैल्शियम कार्बोनेट के उपयोग द्वारा नारियल के खोल को सक्रियित कार्बन में बदलने का अध्ययन किया है। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले डाई मालेकाइट ग्रीन के औद्योगिक अपशिष्ट को शोधित करने की एक किफायती और सुरक्षित विधि विकसित करना है। मालेकाइट ग्रीन का उपयोग कागज, रेशम और चमड़े जैसे उद्योगों में एक योज्य और रंजक के रूप में किया जाता है।

सक्रियित कार्बन, कार्बन का एक संसाधित, छिद्रयुक्त संस्करण है जिसका उपयोग विशेषकर एक शोषक के रूप में तथा गैस और जल के शोधन के लिए रासायनिक प्रतिक्रियाओं में किया जाता है। नारियल के खोल को जिंक क्लोराइड, सल्फ्यूरिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड जैसे कई रासायनिक सक्रिय एजेंटों का उपयोग करके सक्रियित कार्बन में परिवर्तित किया जा सकता है। हालांकि, एजेंट के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट का उपयोग करने पर किये गए शोध सीमित हैं।

Yamuna Expressway: यमुना एक्सप्रेसवे पर घटेगी स्पीड लिमिट, इस वजह से लिया गया फैसला  Read More Yamuna Expressway: यमुना एक्सप्रेसवे पर घटेगी स्पीड लिमिट, इस वजह से लिया गया फैसला

मालेकाइट ग्रीन डाई-युक्त औद्योगिक अपशिष्ट, जल-स्रोतों में पहुंचकर पूरे पारिस्थितिकी-तंत्र को दूषित करते हैं। इसके संपर्क में आने से विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं। डाई-प्रदूषित जल के शोधन की सबसे प्रभावी विधि है-अधिशोषण (Adsorption)। अधिशोषण की प्रक्रिया में किसी ठोस सतह पर गैसों या घुलनशील पदार्थों के कण चिपक जाते हैं।

Petrol Pump: पेट्रोल पंप पर लोग 100 रुपये की जगह 110 का क्यों डलवाते हैं तेल? जानें क्या है वजह Read More Petrol Pump: पेट्रोल पंप पर लोग 100 रुपये की जगह 110 का क्यों डलवाते हैं तेल? जानें क्या है वजह

"कृषि अपशिष्ट उत्पादों में, अपशिष्ट जल को शोधित करने वाले एक किफायती और सक्षम अधिशोषक (Adsorbent) के रूप में प्रयुक्त होने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इस अध्ययन में, सक्रियित कार्बन पर मैलाकाइट ग्रीन डाई के अधिशोषण की गहराई से जांच की गई," शोधकर्ता करंट साइंस में हाल ही में प्रकाशित एक लेख में बताते हैं।

New Highway: दिल्ली–एनसीआर में बन रहे 4 नए हाईवे और टनल, जाम से मिलेगी राहत  Read More New Highway: दिल्ली–एनसीआर में बन रहे 4 नए हाईवे और टनल, जाम से मिलेगी राहत

शोधकर्ताओं ने नारियल के खोल से सक्रियित कार्बन बनाने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का इस्तेमाल किया। विश्लेषण के क्रम में, प्राप्त सक्रियित कार्बन के छिद्र-निर्माण की दर और सतह क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई। जिसके परिणामस्वरूप सक्रियित कार्बन की सतह पर मैलाकाइट ग्रीन डाई की अनेक परतें अधिशोषित पाई गईं। 

तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल प्रमुख नारियल उत्पादक क्षेत्र हैं। नारियल के खेतों से उत्पन्न कृषि अपशिष्ट को या तो जला दिया जाता है या लैंडफिल में डाल दिया जाता है। हालाँकि, इस कचरे को मूल्य वर्धित उत्पादों में बदलने के प्रयास जारी हैं, जिससे ठोस-अपशिष्ट प्रबंधन और चक्रीय अर्थव्यवस्था दोनों को सक्षम किया जा सके। प्रचुर मात्रा में और आसानी से उपलब्ध नारियल के खोल का भी ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

अध्ययन से यह स्पष्ट है कि नारियल का खोल औद्योगिक अपशिष्टों से डाई हटाने के लिए एक प्रभावी अधिशोषक के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। यह अध्ययन, नारियल के खोल को व्यावसायिक सक्रियित कार्बन के एक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में भी रेखांकित करता है।

अध्ययन-दल में आर. संगीता पिरिया, राजमणि एम. जयबालाकृष्णन, एम. माहेश्वरी, कोविलपिल्लई बूमिराज, और सदिश ओमाबादी शामिल थे। यह शोध-अध्ययन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग- विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (डीएसटी-एसईआरबी) और पर्यावरण विज्ञान विभाग, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर के सहयोग से किया गया है। 

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel