लॉकडाउन : काल खंड के पृष्ठ पर हमने कितना सीखा…!

लॉकडाउन : काल खंड के पृष्ठ पर हमने कितना सीखा…!

कोमल नारायण त्रिपाठी (लेखक रक्षा अध्ययन विभाग के रिसर्च फेलो हैं) कोरोना महामारी के चलते आज सम्पूर्ण मानव सभ्यता खतरे में आगयी है इस महामारी से बचने के अंतिम प्रयास भी असफल प्रतीत होने लगे है इस सब बचने का एक ही रास्ता बचा है वो है सभी लोग अपने घरों में रहें और महत्वपूर्ण आवश्कता

कोमल नारायण त्रिपाठी (लेखक रक्षा अध्ययन विभाग के रिसर्च फेलो हैं)


कोरोना महामारी के चलते आज सम्पूर्ण मानव सभ्यता खतरे में आगयी है इस महामारी से बचने के अंतिम प्रयास भी असफल प्रतीत होने लगे है इस सब बचने का एक ही रास्ता बचा है वो है सभी लोग अपने घरों में रहें और महत्वपूर्ण आवश्कता पड़ने पर ही बाहर निकले अर्थात जिसे लॉक डाउन के नाम से सम्बोधित किया जा रहा है, वैसे तो लॉकडाउन ने हमारी आम जिंदगी में ब्रेक लगा दिया है परंतु कुछ ऐसी बातें है जो इस दौरान हमें सीखने को मिली जो हमारे मन मष्तिष्क में अमिट छाप छोड़ रही है। जिसकी वजह से हम कुछ सीखने के लिए प्रकृति द्वारा निर्देशित किये गए हैं।

पर्यावरण प्रदूषण अपने न्यूनतम स्तर पर है जो कि आप दिनों से काफी राहत देता है आज यातायात वाहनों के बंद हो जाने से जहाँ कार्बन का उत्सर्जन कम हो गया है जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रित है वहीं औद्योगिक प्रतिष्ठानों के बंद हो जाने से नदियों के जल स्तर में पर्याप्त सुधार दिख रहा है । आसपास की सफाई भी पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने में कामयाब दिखाई दे रही है। 
“शहर में रह रहे लोगों को इस समय गाँवो की याद आ रही है वो बरसों पहले जिस हरी भरी जमीन को बंजर होने के लिए छोड़ गए थे आज उसी गाँव में लौटने के लिए सर पर पैर रखकर भगा रहे है सरकारों से गुहार लगा रहे है”

लॉकडाउन काल मे हमे ये भी पता चला कि हमारे जीवन मे व्यक्तिगत स्वच्छता का कितना महत्व है हमें क्यों बार बार हाँथ धुलते रहना चाहिए..? दैनिक व्यस्तता के कारण व्यक्ति अपने घर परिवार को समय नही दे पाता है जिससे वह समाज से तो जुड़ा राहता है परंतु अपने सगे संबंधियों से दूर होने लगता है जिससे परिवार में कलह जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है लॉकडाउन के चलते सभी आज घर में है तो इस समस्या का भी निदान संभव हो सका है। सामाजिक दूरी के चलते व्यक्ति को अपनी समस्याओं के बारे में आत्म मंथन के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है जिससे वह इस समय का उपयोग आध्यात्मिक चिंतन पूजापाठ योग क्रियायों आदि में अपने आप को व्यस्त रख खुद को शारिरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के प्रयास में संलिप्त हो सकता है।लोक डाउन के समय लोग घर मे रहकर तरह तरह से अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं कोई लोक गीतों के माध्यम से अपना संदेश दे रहा है

तो कोई घर मे रहकर तरह तरह के व्यंजन बनाने में मशगूल हैं।घर पर रहकर गायन नृत्य लेखन पाकविद्या आदि का प्रदर्शन सुलभ तरीके से हो रहा है।मानवीय संवेदनाओं को एक उच्च आयाम दे रहा है ये लॉकडाउन लोग अपने अपने तरीके से एक दूसरे की मदद करने का सक्रिय प्रयास कर रहे है बहुत से लोग और स्वयंसेवी संस्थानों लोगों की मदद भोजन आदि वितरित कर रहे है । लोगों में आपसी समन्यव की भावना का विकास हुआ है इस बीमारी के सामने हम असहाय भले ही हों पर मानवता के शिखर पर हम सदैव उच्च स्थान रखने में कामयाब हो रहे सभी एक दूसरे की मदद हेतु तत्पर दिखाई देते है। शहर में रह रहे लोगों को इस समय गाँवो की याद आ रही है वो बरसों पहले जिस हरी भरी जमीन को बंजर होने के लिए छोड़ गए थे आज उसी गाँव में लौटने के लिए सर पर पैर रखकर भगा रहे है

सरकारों से गुहार लगा रहे है कि उन्हें गाँव भेजा जाए, आज गाँवो का महत्व भी लोगों को समझ आरहा है हो सकता है गाँव का कल्याण इस पुनर्जागरण से हो ही जाए। सेना के जवान सिविल पुलिसकर्मी स्वास्थ्यकर्मी तथा किसान जो सदैव देश की अखंडता प्रभुसत्ता तथा देश को आर्थिक सामाजिक रूप से समृद्ध करने के लिए निरन्तर अपनी सेवाएं दे रहे थे आज उनकी प्रसांगिकता और भी बढ़ गई है। जिससे इनका सर्वांगीण विकास आवश्यक हो गया है।

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