हिंसक जानवर के पदचिन्ह मिलने से ग्रामीणों में दहसत

हिंसक जानवर के पदचिन्ह मिलने से ग्रामीणों में दहसत

लखनऊ राजधानी के काकोरी इलाके में हरदोई रोड स्थित रेहमानखेड़ा के सरकारी कृषि फार्म हाउस के जंगल के आस-पास के गांवों में उस समय दहसत का माहौल बन गया।जब स्थानीय ग्रामीणों को जमीन पर किसी हिंसक जानवर के पद चिन्ह दिखाई पड़े।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इसी जंगल में अब से लगभग 6 वर्ष

लखनऊ

राजधानी के काकोरी इलाके में हरदोई रोड स्थित रेहमानखेड़ा के सरकारी कृषि फार्म हाउस के जंगल के आस-पास के गांवों में उस समय दहसत का माहौल बन गया।जब स्थानीय ग्रामीणों को जमीन पर किसी हिंसक जानवर के पद चिन्ह दिखाई पड़े।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इसी जंगल में अब से लगभग 6 वर्ष पूर्व एक टाइगर आया था।जिसको वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद लगभग तीन माह बाद पकड़ने में सफलता हासिल की थी।वहीं वन विभाग का कहना है

कि इस प्रकार की सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।फिल हाल यह तो तय है कि रेहमानखेड़ा स्थित फॉर्म हाउस के जंगल में इससे पूर्व एक टाइगर को पकड़ा जा चुका है।रविवार को जो पदचिन्ह मिले हैं।वह किसी हिंसक जानवर के प्रतीत होते हैं।ऐसा दुगौली सहित आस पास के गांवों के लोगों का कहना है।जिसके चलते स्थानीय ग्रामीणों में डर का माहौल व्याप्त है।  काकोरी प्रभारी निरीक्षक घनश्याम मणि त्रिपाठी का कहना है कि इस प्रकार की कोई सूचना ग्रामीणों द्वारा उन्हें अभी प्राप्त नहीं हुई है। 

अवध वन प्रभाग लखनऊ के रेंजर शिवाकान्त शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की कोई जानकारी नही है और न ही ग्रामीणों द्वारा इस प्रकार की कोई सूचना अभी तक विभाग को नहीं दी गई।यदि ऐसी कोई सूचना मिलती है तो उसका स्थलीय निरीक्षण किया जायेगा।   प्रकृति से खिलवाड़ के चलते आज जंगली जानवर शहरी इलाकों में आने को मजबूर है।इसका सबसे बड़ा कारण है।ग्रामीण अंचलों में चंद पैसों के निजी स्वार्थ के चलते चंद लोग अवैध रूप से पेड़ों की कटान कर रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में देखना यह होगा कि लगभग 6 वर्ष पूर्व हुए हादसे की पुनरावृत्ति होती है या फिर यह महज स्थानीय ग्रामीणों का भ्रम मात्र है

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