kavita
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Read More... मैं नारी हूँ ।दो पल की है मेरी कहानी ।
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By Swatantra Prabhat Desk
प्रयागराज। में नारी हूँ दो पल की है मेरी कहानी मैं नारी हूँ दो पल की है मेरी कहानी जिसमें शामिल है सौ जिंदगानी मैं ममता हूँ मैं घर का सुकून हूँ तुम्हारे सुख –दुख की साथी हूँ। तुम्हारे इफको... गणतंत्र दिवस है न्यारा...!
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By Swatantra Prabhat Desk
आओ फिर लहरायें तिरंगा प्यारा, अपना ये गणतंत्र दिवस है न्यारा। छहत्तरवॉ ‘गणतंत्र‘ खुशी मनाये, उन शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायें। 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ, पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद! झंडा फहराया और दे दी सौगात। आओ फिर... संजीव -नी।
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By Office Desk Lucknow
चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते है,इस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को हँसातें है।निराशा,विषाद में क्या रखा है मित्रो,उदासी को... चलो थोडा मुस्कुराते है
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By Office Desk Lucknow
संजीव -नी। चलो थोडा मुस्कुराते है।। चलो थोडा मुस्कुराते है इस दवा को आजमाते है. कठिनाई में खिलखिलाते है, मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं। जिसकी आदत है मुस्कुराना, वो ही ज़माने को झुकाते है। मायुसी विषाद की जड़ होती है,... हे ईश्वर जमीं नही दी, आसमान तो दे
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By Office Desk Lucknow
हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे, थोड़ा जीने का अदद सामान तो दे। बहुत अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं, जीने का कोई तरीका आसान तो दे । रोज खाली हाथ लौटता हूं घर अपने, इंसानियत का भला करने का इमान तो दे।... कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में
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By Office Desk Lucknow
कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में ,कभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल था मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी मुझे ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज पकड़ा गया... संजीव-नी। कोई कविता नहीं लिखता
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नी।कोई कविता नहीं लिखता सड़क के लिए?सड़क बेचारीकभी सुनसान, कभी बियाबानकभी पथरीले, कभी कटीले,भीड़ के हादसे को सहते,मशीनी हाथियों का सैलाबदर्द सहती, गुमसुमचलती जाती है,दर्द की अभिव्यक्तिकिससे कहें, किसकी सुने,... नासमझ इश्क
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By Office Desk Lucknow
हम ढूढ़ते रह गएउनको हर निग़ाह में,पर वो तो खो ही गएओर किसी की बाहों में। हम ने तो हमेशा उनसेइक़रार ही किया थापर वो ही हर बारइन्कार ही करते रह गए। हमने तो... मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी चाहिए
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By Swatantra Prabhat Desk
मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी चाहिए, जहां बैठकर मैं शहर की खूबसूरती को निहार सकूं l मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक खिड़की भी चाहिए, जहां बैठकर मैं बाहर के नजारे झांक सकूं l मुझे सिर्फ एक... क्यूँ ?
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By Swatantra Prabhat Desk
क्यू तुम मेरे व्यक्तित्व पर अपना व्यक्तित्व थोपते हो ? क्यू मेरे इंन्द धनुषी स्वपनो को अपनी इच्छाओं के काले बादल से ढकते हो क्यूं मेरे हिरन रूपी मन के पैरों में अपने आदेशों की बेडियाँ जकड़ते हो? क्यूँ क्यू... नटखट तितली
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By Swatantra Prabhat UP
Swatantra prabhat: रंग रंग के पंखों वाली, तितली हमें लुभाती हैं फूल फूल पर कली कली पर, अक्सर ये मड़राती है कभी इधर तो कभी उधर , बार बार उड़ जाती है पर फड़का के आती जाती, सबके मन को... अतिरिक्त
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By Swatantra Prabhat UP
तुम चेहरे की मुस्कुराहट पर मत जाओ बहुत गम होते हैं सीने में दफन। तुम झूठी वफाओं में मत आओ बहुत ख़्वाब होते हैं आधे अधूरे से। तुम इन सिमटी हुई निगाहों पर मत जाओ बहुत कुछ बिखरा हुआ होता... 