कुर्रिया कला पौराणिक मंदिर के खुले कपाट

कुर्रिया कला पौराणिक मंदिर के खुले कपाट

कुर्रिया कला पौराणिक मंदिर के खुले कपाट


महिष मर्दिनी माता के 11, 12 व 13 अप्रैल तक होंगे दर्शन

शाहजहांपुर 

जनपद के कांट क्षेत्र में स्थित कुर्रिया कलां का प्रसिद्ध महिषमर्दिनी देवी के इस पौराणिक मंदिर का एक अलग महातम्य है। यहां शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र की नवमी के अगले दिन मंदिर के कपाट 3 दिन के लिए खुलते हैं। मंदिर के बाहर बहुत बड़ा मेला 11 अप्रैल से प्रारंभ होगा जो 13 अप्रैल तक चलेगा। मंदिर के कपाट आज प्रातः 4 बजे भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिये गए। दूर दराज क्षेत्रों  से आने वाले श्रद्धालुओं और दुकानदारों को कोई असुविधा न हो इसलिए माता रानी के मंदिर पर सुरक्षा व्यवस्था के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं।

 इस पौराणिक स्थान के बारे में मंदिर के मुख्य यजमान मनुज दीक्षित ने बताया कि यह स्थान लगभग 500 वर्ष पुराना है उनकी 8 वीं पीढ़ी इस दरबार की सेवा में लगी हुई है। इस पौराणिक स्थल के बारे में दंत कथाएं जो प्रचलित हैं भक्त गणों का कहना है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ की मूर्ति जिसे जोधपुर राजघराने के राजा ने अपनी रानी के लिए अष्ट धातु से निर्मित करवाया था। वर्तमान मुख्य पुजारी द्वारा यह बताया गया कि उनकी 8 वीं पीढ़ी के बाबा पण्डित सहताऊन लाल प्रकांड विद्वान थे। जो कि जयपुर जोधपुर राजघराने के संपर्क में आए और जिस मूर्ति को राजा द्वारा बनवाया गया था उसे राजा से मांगा था लेकिन राजा ने एक शर्त रख दी कि अगर इस मूर्ति को हंसा देंगे तो यह आप ले जा सकते हैं।

 पंडित जी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कर मंत्रोच्चार के द्वारा मूर्ति को हँसाया गया। जिससे प्रसन्न होकर राजा ने वह मूर्ति पंडित जी को दान दे दी थी जिसकी स्थापना वर्तमान में माता महिषमर्दिनी के साथ भव्य दरबार में विराजमान हैं। लोगों में यह कथा भी प्रचलित है कि पूर्व में इस मंदिर के कपाट स्वयं खुलते थे और बंद होते थे। यहां आज भी नवरात्रों के अगले दिन यानी दशमी की रात में ढोल नगाड़े  बजाने के बाद ही मंदिर के कपाट श्रंगारपूजा करने के उपरांत भक्त जनों के दर्शनार्थ खोल दिए जाते हैं। विभिन्न प्रदेशों एवं जनपदों से इस पौराणिक स्थल पर पहुंचने वाले भक्त जनों का मानना और कहना है कि यहां सच्चे मन से जो भी मुराद भक्तजन अपनी मनौती मानते हैं वह अवश्य पूर्ण होती है।

 3 दिन तक चलने वाले इस मेले पर भारी मात्रा में भीड़ जुटती है, शाहजहांपुर जनपद के साथ-साथ फर्रुखाबाद पीलीभीत बरेली बदायूं रामपुर हरदोई सीतापुर उन्नाव कानपुर आदि विभिन्न जनपदों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु जन माता रानी एवं भगवान भोलेनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। यहां प्रसाद के रूप में नारियल और पिसी हुई चीनी का भोग लगता है और भक्तजन वही प्रसाद ग्रहण करते हैं। माता रानी को श्रंगार के रूप में लाल चुनर चूड़ी बिंदी सिंदूर आज भी भक्तजन भेंट करते हैं। इस दरबार से क्षेत्रीय लोगों के साथ-साथ जनपद वासियों के लिए आ जाएं जुड़ी हुई है क्षेत्र के रहने वाले तमाम लोगों के यहां अगर कोई नया शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले इस दरबार में आकर पूजा अर्चना की जाती है।

 इस दरबार की खास बात यह है कि यहां चढ़ावा नहीं चढ़ता आप नगद पैसा नहीं चढ़ा सकते इस संबंध में जब दरबार के मुख्य यजमान मनुज दीक्षित से बात की गई तो उन्होंने कहा यहां हमारी कुलदेवी हैं और हमारे समस्त परिवार के लोग इस मंदिर की देखभाल करते हैं हमारे परिवार में चढ़ावे को लेकर कोई विघटन ना हो लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा ना हो इस वजह से यहां नगद चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता जिसे मंदिर की देखभाल करने वाले परिवार ने प्रतिबंधित कर रखा है।

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