महिलाओं ने सूर्य की आराधना के बाद सौंपा रविवार का व्रत
परिजनों की सुख शांति के लिए दिया जाता अर्घ्य
सुपौल ,बिहार
बिहार के कोसी व मिथिलांचल में धूमधाम से मनाए जाने वाले रविवार का व्रत जिले में रविवार को पूरे बिधि बिधान व निष्ठा के साथ मनाया गया।बिगत छह माह से व्रती महिलाओं द्वारा इस पर्व को आराध्य को समर्पित करने के लिए कई दिनों से तैयारी में की जा रही थी। छठ की भांति ही इस पर्व में भी व्रती महिलाओं द्वारा शनिवार को नहाय खाय किया गया।
इसके उपरांत रविवार को स्नान के साथ नए वस्त्र धारण कर घर के समीप ही कोनियां में ठकुआ, नारियल सहित अन्य फलों से भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित किया। साथ ही पूजा अर्चना के उपरांत महिलाओं द्वारा प्रसाद का वितरण किया गया।व्रती महिलाओं के द्वारा यह पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महिलाएं सूप में फल, पकवान आदि सूर्य को चढ़ाते और प्रसाद बांटते हैं।
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परिजनों की सुख शांति के लिए दिया जाता अर्घ्य
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व्रती महिलाओं ने बताया कि सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। अपने बच्चे, परिवार के लिए सुख, समृद्धि की कामना की जाती है। पर्व को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को करने से रोग, दोष, कष्ट से मुक्ति तथा आत्मविश्वास में वृद्धि करने के लिए भी किया जाता है। रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपति की प्राप्ति और शत्रुओं का नाश होता है।
शास्त्रों में कहा गया है इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी।मान्यता है कि रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से व्यक्ति कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस पर्व को मनानी वाली महिलाओं के परिवार में मान-सम्मान, धन, यश और साथ ही उत्तम स्वास्थय भी प्राप्त होता है।
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