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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

टूटती उम्मीदों का समाज और आत्महत्या का बढ़ता संकट, सभ्य समाज के लिए करुणाजनक स्थिति

टूटती उम्मीदों का समाज और आत्महत्या का बढ़ता संकट, सभ्य समाज के लिए करुणाजनक स्थिति स्कूल के बच्चों से लेकर सुरक्षाबलों के जवानों तक आत्महत्या की घटनाएं आज भारतीय समाज की सबसे पीड़ादायक और चिंताजनक सच्चाइयों में शामिल हो चुकी हैं। यह केवल किसी एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती बल्कि पूरे परिवार के लिए...
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