ताले लगे दरवाज़ों पर

ताले लगे दरवाज़ों पर, और रिश्ते छूटते चले गए

ताले लगे दरवाज़ों पर, और रिश्ते छूटते चले गए दरवाज़े तब नहीं खुलते थे जब चाभी घूमती थी,  वे तब खुलते थे जब कोई पुकारता था  —  मैं हूँ…।  वो  वक़्त  था  जब  ताले  धातु  से  नहीं, भरोसे से बने होते थे। वो दिन, जब...
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