Vichar
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

जैसा प्रदेश वैसे ही मुद्दे

जैसा प्रदेश वैसे ही मुद्दे स्वतंत्र प्रभात: जितेन्द्र सिंह पत्रकारचुनाव की घंटी बज चुकी है, पांच राज्यों में स्थितियां अलग अलग हैं इसलिए एक ही मुद्दे पर चुनाव लड़ पान प्रत्येक पार्टी के लिए मुश्किल है। पार्टियों ने प्रदेश की स्थिति के अनुसार ही...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अब जाति न पूछो साधु की अप्रासंगिक

अब जाति न पूछो साधु की अप्रासंगिक हम इक्कीसवीं सदी के लोग पंद्रहवीं सदी के लोगों की चेतावनी पर ध्यान क्यों देने लगे ? बाबा कबीरदास ने पंद्रहवीं सदी में ही आगाह कर दिया था   कि जात-पांत से दूर रहो। हमने कबीर का कहा रट तो लिया...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

क्या कुर्सी की खातिर सब कुछ गवां दिया जाये  

क्या कुर्सी की खातिर सब कुछ गवां दिया जाये   कुर्सी क्या इतनी महत्वपूर्ण वस्तु बन गयी है कि  उसके पीछे लोग अपना सब कुछ गवां देने पर उतारु हैं ? ये सवाल आपके मन में आये या न आये किन्तु मेरे मन में बार-बार आ -जा रहा है।  कनाडा...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अतिरिक्त

अतिरिक्त तुम चेहरे की  मुस्कुराहट पर मत जाओ  बहुत गम होते हैं  सीने में दफन। तुम झूठी  वफाओं में मत आओ बहुत ख़्वाब होते हैं आधे अधूरे से। तुम इन सिमटी हुई निगाहों पर मत जाओ बहुत कुछ बिखरा हुआ होता...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल स्वतंत्र प्रभात  हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है, यह सब रोज-रोज के ऐसे कारनामे देखकर हम समझ सकते हैं, हमारे भारत की महिलाओं में कभी माताएं आती रहती है तो पुरुषों में कभी अमुक आते...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

जजों को धमकी, चेतावनी या और कुछ 

जजों को धमकी, चेतावनी या और कुछ  स्वतंत्र प्रभात     केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू को मै बहुत नसीबों वाला नेता मानता हूं, हालांकि वे जितने पढ़े लिखे हैं उससे कहीं ज्यादा पढ़े लिखे नौजवान चप्पलें घिसते फिर रहे हैं, लेकिन राजनीति किरेन को ये मौका देती है...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

मन ही सब कुछ है। आपको क्या लगता है आप क्या बनेंगे?

मन ही सब कुछ है। आपको क्या लगता है आप क्या बनेंगे? स्वतंत्र प्रभात बुद्ध ने कहा कि - 'सभी समस्याओं का कारण उत्साह है' अर्थात इच्छा की अधिकता और इच्छा मन से आती है। इसलिए मन को नियंत्रित और संतुलित करना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति और शास्त्र हमें अपने मन को...
Read More...

Advertisement