भारत का अटूट अंग है अरूणाचल प्रदेश 

भारत का अटूट अंग है अरूणाचल प्रदेश 

स्वतंत्र प्रभात 
 (नीरज शर्मा'भरथल') 
भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने एनयूएस यानि यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान में एक व्याख्यान देने के बाद अरुणाचल प्रदेश मुद्दे पर चीनी ब्यानों का हवाला देते हुए पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। चीन ने जो दावा किया है, वो उसने अपने पुराने दावों का विस्तार किया है। ये दावे शुरू में हास्यास्पद थे और आज भी हास्यास्पद बने हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट, बहुत सुसंगत रहे हैं और मुझे लगता है कि आप जानते हैं कि यह सब कुछ ऐसा है जो होने वाली सीमा चर्चा का हिस्सा होगा।
 
विदेशमंत्री जयशंकर की टिप्पणियों पर चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लिन ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा कभी तय नहीं हुई है। लिन ने दावा किया कि जगनान अरुणाचल प्रदेश का चीन में आधिकारिक नाम है। भारत द्वारा 'अवैध रूप से कब्ज़ा' करने से पहले वो हमेशा चीन का हिस्सा था। आगे बोलते हुए चीनी प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने 1987 में अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्र पर तथाकथित अरुणाचल प्रदेश की स्थापना की है। इस महीने यह चौथी बार है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे की बात कही है।
 
वैसे तो पूरा विश्व चीन को जानता है कि वो अपनी विस्तारवादी नीति के तहत दूसरे देशों की सीमाओं में घुसकर कब्जा करता रहता है। चीन की 14 देशों के साथ तकरीबन 22 हजार किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। चीन का जमीन पर कब्जे को लेकर अपने लगभग सभी पड़ोसियों से विवाद चल रहा है। इसके अलावा समुद्र पर कब्जे को लेकर भी वो लड़ता रहता है। दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन का कई देशों के साथ विवाद चल रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य कई देशों के साथ सीमा को लेकर चीन का मतभेद है। चीन का लगभग  23 देशों के साथ सीमा विवाद है।
 
जिसमें से कई देशों के साथ चीन की सीमा नहीं लगती है लेकिन चीन उन पर अपना दावा करता है। इन विवादों में समुद्री सीमा को लेकर विवाद भी शामिल है। चीन का इंडोनेशिया से भी सीमा विवाद है क्योंकि इंडोनेशिया का चीन सागर में बड़े क्षेत्र पर अधिकार है और चीन उसे अपना हिस्सा मानता है। चीन अपनी जमीनी सीमा उत्तर कोरिया , रूस , मंगोलिया , कजाकिस्तान , किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान , अफगानिस्तान , भारत , नेपाल , भूटान , म्यांमार, लाओस और वियतनाम सहित 13 देशों के साथ साझा करता हैं और जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलिपींस से समुद्री सीमा साझा करता है।
 
इन सभी देशों से चीन का सीमा विवाद चल रहा है। चीन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कुछ हिस्से को अपना बताता। इनके अलावा कंबोडिया, ताईवान, हांगकांग, ब्रुनेई, मकाऊ जैसे देशों से चीन का नियंत्रण को लेकर विवाद है। सारी दुनिया जानती है कि चीन ने तिब्बत पर भी कब्जा कर रखा है। चीन का कहना है कि 13वीं शताब्दी से ही तिब्बत उसका हिस्सा रहा है। जबकि, तिब्बत का कहना है कि वो हमेशा से ही स्वतंत्र राज्य रहा है। 23 मई 1950 को चीन के हजारों सैनिकों ने तिब्बत पर हमला कर दिया और उस पर कब्जा कर लिया। उसके बाद 1951 में चीन ने पूरी तरह से इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
 
जबकि ताइवान को कब्जाने की कोशिश वो लगातार कर रहा है। 1949 से चीन और ताइवान अलग-अलग है। इससे पहले ताइवान और चीन एक ही हुआ करते थे। लेकिन कम्युनिस्टों की सरकार आने के बाद कॉमिंगतांग की पार्टी के लोग भागकर ताइवान आ गए। 1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना'। दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। लेकिन, चीन दावा करता है कि ताइवान भी उसका ही हिस्सा है। चीन और ताइवान में अक्सर जंग जैसे हालात बन जाते हैं। चीन का 23 अलग अलग देशों के इलाकों को अपना हिस्सा बताता है।
 
इतना ही नहीं चीन दक्षिण चीन सागर में जोर जबरदस्ती से कब्जा करे बैठा है। इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला ये समुद्री इलाका 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। ये सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलिपींस, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेई से घिरा है। कुछ साल पहले चीन के समुद्र में खुदाई करने वाले जहाज, ईंट और पत्थर लेकर दक्षिणी चीन सागर पहुंचे। पहले चीन ने यहां एक बंदरगाह बनाया। फिर हवाई पट्टी और फिर देखते ही देखते एक आर्टफिशियल द्वीप तैयार कर यहां सैन्य अड्डा बना दिया।
 
चीन की इस गतिविधि को लेकर जब सवाल उठे तो उसने दावा किया कि दक्षिणी चीन सागर से उसका दो हजार साल पुराना ताल्लुक है। अब हालात ये हैं कि दक्षिणी चीन सागर को लेकर कई देश आमने-सामने आ गए हैं। चीन दूसरे देश की जमीन हड़पने के लिए पूरे विश्व में बदनाम है। साल 2022 में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पिछले 6 दशकों से चीन करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है।
 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से कब्जा किए गए शक्सगाम घाटी के 5 हजार 180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को सौंप दिया है। सन 1912 में भारत और चीन के बीच दोनो देशों की सीमा निर्धारित करती मैकमोहन लाइन खींची गई थी। शिमला में हुए इस समझौते को चीन ने मान्यता दी और समझौते पर हस्ताक्षर भी किए। मैकमोहन लाइन  890 किलोमीटर लम्बी है।
 
इस लाइन के तहत अरुणाचल प्रदेश या तवांग को भारत का हिस्सा माना गया है परन्तु 1949 में चीन में कामनिस्ट राज आने के बाद आरंभ हुई विस्तारवादी नीति के चलते धूर्त चीन मैकमोहन लाइन की मान्यता से इंकार करने लगा। अरूणाचल में चीनी सैनिक घुसपैठ का भारतीय सेना हमेशा मुंह तोड उत्तर देती रही है। अरूणाचल प्रदेश भारत का अटूट अंग है। चीन चाहे कितना भी सिर पटक ले। उसका अरूणाचल पर कब्जे का सपना कभी पूरा नही हो सकता। भारतीय सेना चीन के हर दुस्साहस का जबाब देने मे सक्षम है। अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और आगे भी रहेगा।

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