मनरेगा योजना के इंटरलॉकिंग निर्माण के नाम पर ग्राम पंचायत घुघुची में लाखों का घोटाला

मनरेगा योजना के इंटरलॉकिंग निर्माण के नाम पर ग्राम पंचायत घुघुची में लाखों का घोटाला

अब तक एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायत में किए गए फर्जी वाडा करके गोलमाल का हुआ खुलासा
 
 
नहीं टूट रही जिम्मेदार साहबों की कुंभ करनी नींद पंचायत सचिवों की माने तो उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है मामला
 
 
इंटरलॉकिंग निर्माण कार्य में रोड पर बालू बिछाकर मौरंग का बिल लगाकर किया गया लाखों रुपए का फर्जी भुगतान
 
टी ए हरीश चौधरी व टी ए मिश्रा जी एवं पंचायत सचिव, प्रधान, रोजगार सेवक की मिली भगत से खेला जा रहा सरकारी धन के बंदर बांट का सुनियोजित योजनाबद्ध तरीके से खेल
 
लखीमपुर खीरी
 
मामला विकासखंड लखीमपुर का है। जहां पर खंड विकास अधिकारी एवं डीसी मनरेगा के नाक के नीचे फर्जीवाडा करके कई लाख रुपए के सरकारी धन का गवन कर लिए जाने का मामला जन चर्चा का विषय बना है। साथ ही साथ जिम्मेदार साहबों की निष्ठा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि डीसी मनरेगा साहब जब ब्लॉक में खंड विकास अधिकारी थे तब परिंदा पर नहीं मार पाता था ।अब जब साहब ऊंचे पद पर आसीन हैं तो उन्हीं के विभाग में जमकर फर्जीवाडा और भ्रष्टाचार का मामला चर्चा का विषय बना है। और साहब इन भ्रष्टाचार में लिप्त अपने मातहतो के सामने निरीह बने सब कुछ देख रहे हैं।
 
जिम्मेदारों की उदासीनता और खाऊ कमाऊ नीति के चलते ब्लाक लखीमपुर की कई ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की गंगा बहती नजर आ रही है। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी ग्राम पंचायतों की बात करें तो अमानलाला, बिझौली, बेहटा, घुघुची ,ग्राम पंचायत बाजपेई, लाहौरी नगर ,पहाड़ापुर, सलेमपुर आदि ग्राम पंचायतें प्रमुख हैं ।जहां मनरेगा से लगाए गए इंटरलॉकिंग कार्य में हकीकत के धरातल पर रोडा बालू और इंटरलॉकिंग ईट का प्रयोग करके कार्य पूर्ण कराया गया। और भुगतान में बालू की जगह मौरंग का बिल बनाकर लाखों रुपया प्रति ग्राम पंचायत के हिसाब से डकार लिया गया।यदि हम मौके पर मौजूद मिले ग्रामीणों की जुबानी सत्य माने तो ज्यादातर इंटरलॉकिंग कार्य में रोडा की बजाय पुराने खड़ंजे की ईंटों का प्रयोग करके इंटरलॉकिंग कार्य करवाया गया है।
 
यदि कहीं रोडा खरीद भी गया है तो पीला ईट का रोडा खरीद कर कोरम पूरा किया गया है। आईए आज हम आपको ग्राम पंचायत घुघुची में वित्तीय वर्ष 2022-23 व 23 -24 में मनरेगा से करवाए गए इंटरलॉकिंग कार्य में फर्जी वाडा करके लाखों रुपए का गवन कर लिए जाने का मामला दिखाने ले चल रहे हैं। ग्राम पंचायत में फैले भ्रष्टाचार की अनूठी कहानी बयां कर रही है। इस खेल में ग्राम प्रधान से लेकर ग्राम रोजगार सेवक, पंचायत सचिव ,के साथ-साथ जे ई  व  टी ए सहित ए पी ओ की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं।
 
लोगों की जुबानी सत्य माने तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में ग्राम पंचायत घूंघुची में मैंकू लाल के मकान से प्राथमिक विद्यालय होते हुए संजय शर्मा के मकान तक इंटरलॉकिंग निर्माण कार्य में बिल संख्या 705 में मौरंग के नाम पर 49505 बिल संख्या 706 में 49505 बिल संख्या 709 में 19307 कुल भुगतान 118317 रुपए का आहरण किया गया। क्रम संख्या 2 राजेश शुक्ला के मकान से देवी मंदिर तक इंटरलॉकिंग निर्माण कार्य में बिल संख्या 701 में 49505, बिल संख्या 702 में 39604, कुल भुगतान 89109 ,क्रम संख्या 3 चंद्रिका के मकान से लल्ला के मकान तक इंटरलॉकिंग व नाली निर्माण कार्य में बिल संख्या 793 में 31353 ,अजय के मकान से श्री कृष्ण के मकान तक इंटरलॉकिंग कार्य में मौरंग के नाम बिल संख्या 295 रुपया 49505, का भुगतान निकाले जाने का मामला प्रकाश में आया है।
 
उक्त मामले की ही यदि करा ली जाए जांच तो मामला आएगा खुलकर सामने और दर्जनों ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए का घोटाला होगा उजागर। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सारा खेल ए पी ओ  रहे अंशुल के कार्यकाल में होना बताया जाता है। वर्तमान में यह साहब विकासखंड फूलबेहड़ में तैनात बताए जाते हैं। फर्जीवाडा के मुख्य मास्टरमाइंड टी ए मिश्रा जी और टी ए  चौधरी साहब के साथ-साथ एक पी ओ अंशुल साहब सहित पंचायत सचिव, प्रधान ,व रोजगार सेवक बताए जाते हैं। देखना अब यह है उक्त मामले पर उपायुक्त मनरेगा द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है ।मामले की कराई जाती है जांच टीम गठित का निष्पक्ष जांच और जांच में दोषी पाए जाने वाले लोगों पर की जाती है कार्यवाही अथवा मामले की लीपापोती करके ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

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