कब तक चलेगी जेल से दिल्ली सरकार?

 कब तक चलेगी जेल से दिल्ली सरकार?

स्वतंत्र प्रभात 
पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय पीएमएलए कानून के तहत अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इस कानून के तहत गिरफ्तार हुए लोगों के केस उदाहरण के तौर पर देखें तो पता चलता है कि पीएमएलए में जमानत मिलना आसान नहीं है या यूं कहें की आमतौर पे इसमें जमानत हो नही पाती। इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया हैं। जो पिछले साल से ही जेल में हैं। इसके अलावा संजय सिंह भी कई महीनों से जेल में है।
 
हेमंत सोरेन को भी जमानत नही मिल पा रही है। अरविंद केजरीवाल के केस में फिल्हाल उन्हें 6 दिन के रिमांड पर ईडी को सौंप दिया गया है। दिल्ली का नया सी.एम कौन होगा के जबाब में आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा तय किया गया है कि अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री हैं और वो ही मुख्यमंत्री रहेंगे। दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने कहा कि हमें भी चाहें तो गिरफ्तार कर लें, लेकिन केजरीवाल सरकार चलती रहेगी। कोर्ट से जाते हुए अरविंद केजरीवाल ने भी जेल से सरकार चलाने की बात कही। वैसे विधि विशेषज्ञों की मानें तो इस बात में कोई संवैधानिक अड़चन नहीं आएगी। 
 
कानून के विशेषज्ञों का मानना है कि आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं क्यों कि कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो जनता के चुने हुए नुमाइंदे की गिरफ्तारी के बाद उस व्यक्ति को पद पर बने रहने से प्रतिबंधित करता हो। एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है।
 
विधी विशेषज्ञों के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दोषसिद्धि के बाद ही किसी विधायक या जनप्रतिनिधि को अयोग्य माना जा सकता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-8, उपबंध-3 एक विधायक की अयोग्यता से संबंधित है, जिसमें प्रावधान है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और 2 साल या उससे अधिक की सजा दी जाती है तो वह सजा की तारीख से ही अयोग्य हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधि अपनी रिहाई के बाद 6 साल की अवधि के लिए अयोग्य करार दिये जाएंगे।
 
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी और अदालत के समक्ष कार्यवाही से छूट दी गई है। प्रधानमंत्री और किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसी कोई छूट नहीं दी जाती है परन्तु जब तक दोष सिद्ध नही होता या केस का फैंसला ना आने तक जेल से काम करना तकनीकी रूप से संभव है। बेशक कानूनी तौर पर जेल के अंदर से सरकार चलाने में कोई रोक नहीं है परन्तु प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव लगता है।
 
मुख्यमंत्री के कंधों पर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी होती है। उसके कार्यों में कैबिनेट की बैठक से लेकर अलग-अलग विभागों के काम काज को देखने के साथ सरकार फाइलें मंगवाने या आदेश देने का काम भी होता है। मुख्यमंत्री के तौर पर मंत्रियों और अधिकारियों के साथ दिन में कई-कई बैठकें भी करनी होती है। नए प्रोजेक्ट्स पर विचार-विमर्श, नई नीतीयों पर चर्चा, लोक कल्याण कार्यों की देख रेख जैसे अनगिनत अहम कार्य मुख्यमंत्री की दिनचर्या में शामिल रहते है। उन्हें जेल में ही कैबिनेट की बैठकें करनी होंगी, फाइलें साइन करनी होंगी, चेक साइन करने होंगे, अधिकारियों को ऑर्डर पास करने होंगे, शासन और प्रशासन के रोज दर्जनों लोगों को केजरीवाल से मिलना होगा। 
 
यह सारी गतिविधिया जेल मे रह कर पूर्ण करनी संभव नहीं है। जेल नियमावली में जेल से सरकार चलाने का कोई प्रावधान नहीं है। इस लिए मुख्यमंत्री को भी जेल मैनुअल के मुताबिक ही कार्यों की इजाजत मिलेगी। अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए केवल पत्र लिख सकते हैं, वह भी नियमित नहीं बल्कि समय समय पर। केजरीवाल को जेल में सरकारी फाइलें मंगवाने या कोई आदेश जारी करने की छूट कैसे मिलेगी अभी इस पर भी फैसला बाकि है।
 
इसके अलावा जेल में कैबिनेट बैठक करना आसान नहीं होगा। जेल में रहते हुए केजरीवाल को किसी भी व्यक्ति को किसी से मिलने की अनुमति भी जेल नियमावली के अनुरूप ही होगी। ऐसे में सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं। इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है।
 
ऐसे में यदि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाते हैं तो सीएम ऑफिस से जुड़े ऐसे दर्जनों कामों के लिए एक दिन में उन्हें अदालत से दर्जनों परमिशन लेनी होंगी, जो कि स्वभाविक तौर पर असंभव ही है। केजरीवाल 28 मार्च तक ईडी की रिमांड कस्टडी में है। अगली कोर्ट पेशी में उन्हें जमानत मिल जाए ऐसे कानूनी तौर पर आसार कम ही दिखाई देते है। वैसे व्यवाहारिक तौर पर यह संभव नही लगता कि जेल से सरकार चल पाए। ऐसे में आम आदमी पार्टी को आज नही तो कल राज्य के कार्यों को सुचारू रूप से चलाते रहने के लिए अरविंद केजरीवाल के स्थान पर नया मुख्यमंत्री बिठाना ही पड़ेगा।
 
(नीरज शर्मा'भरथल') 

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel