आयरलैंड के भारतवंशी PM ने दिया इस्तीफा

आयरलैंड के भारतवंशी PM ने दिया इस्तीफा

आयरलैंड के भारतवंशी प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी- फाइन गेल पार्टी का लीडर पद भी छोड़ा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा- मेरे पद छोड़ने की वजह दोनों- पर्सनल और पॉलिटिकल है। मुझे लगता है कि देश की गठबंधन सरकार के पास किसी अन्य नेता के लीडरशिप में आगे बढ़ने का बेहतर मौका होगा।

उनकी पार्टी ने नए नेता के लिए नामांकन शुरू कर दिया है। इसके नतीजे 5 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे। वहीं, 9 अप्रैल को संसद में नए प्रधानमंत्री के लिए चुनाव होगा।

2015 में किया था गे होने का ऐलान
आयरलैंड में 1993 तक समलैंगिकता को अपराध माना जाता था। 2013 में आयरलैंड ने एक जनमतसंग्रह करवाया जिसके बाद वहां 2015 के मई महीने में सेम सेक्स (समलैंगिक) शादी को मान्यता दी। इसके कुछ महीने पहले जनवरी 2015 में वराडकर खुलकर सामने आए और उन्होंने अपने समलैंगिक होने की बात पब्लिक की। उस वक्त वो हेल्थ मिनिस्टर थे।

कम उम्र से ही पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट था
उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम बढ़ा दिए थे। साल 2007 में वो डबलिन वेस्ट से फाइन गेल के टिकट पर चुनाव जीते और काउंसलर बने। उस वक्त वो केवल 24 साल के थे।

सबसे कम उम्र के आयरिश PM
43 साल के लियो आयरलैंड के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री रहे। ये उनका दूसरा कार्यकाल था। 2017 में 38 साल की उम्र में वो पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। यह कार्यकाल 2020 तक चला था। इतना ही नहीं, वो आयरलैंड के पहले गे PM भी हैं। उनका जन्म 18 जनवरी 1979 को आयरलैंड की राजधानी डबलिन में हुआ था। उनकी मां मरियम का संबंध आयरलैंड से ही था।

वराडकर की राजनीतिक उपलब्धियां

  • जिस वक्त वराडकर पहली बार प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त ब्रिटेन ब्रेक्सिट लागू करने की तैयारी में था और आयरलैंड उसके साथ सीमापार व्यापार को लेकर चर्चा कर रहा था।
  • वराडकर के नेतृत्व में आयरलैंड ने ब्रिटेन से बात की ताकि दोनों के बीच सीमा पार लोगों के आनेजाने को लेकर सख्त पाबंदियां न लगाई जाएं।
  • इसके बाद जब 2020 में चुनाव हुआ वराडकर देश के नए डिप्टी प्रधानमंत्री चुने गए। देश इस समय कोविड महमारी से जूझ रहा था। वराडकर की चुनौतियां बढ़ गई थीं। उन्होंने पाबंदियां लगाते वक्त कहा था कि वर्क फ्रॉम होम जल्दी ही आम हो जाएगा।
  • 2013 में डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस छोड़ चुके वराडकर महामारी के दौरान मार्च 2020 में एक बार फिर प्रैक्टिस में लौटे। संकट से निपटने के लिए डॉक्टरों की जरूरत को देखते हुए उन्होंने हफ्ते में एक बार लोगों का इलाज करने का फैसला किया था। इस दौरान वो फोन पर लोगों को सलाह देते थे।

मां नर्स, पिता डॉक्टर थे
लियो की मां मरियम नर्स का काम करती थीं। उनके पिता अशोक भारतीय प्रवासी थे। वो पेशे से डॉक्टर थे और 1960 के दशक में इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस में काम करते थे। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई थी। अशोक महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के वराड गांव से थे और मुंबई में रहते थे।

  • लियो की प्रारंभिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस नेशनल स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने एक निजी सेकंडरी स्कूल किंग्स हॉस्पिटल में दाखिला लिया।
  • 2003 में डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मेडिकल की डिग्री ली जिसके बाद उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की।
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