जलालपुर महिला चिकित्सालय की हालात खराब, प्रांगण में टूटी फर्श, गेट पर नही लगा बोर्ड

जलालपुर महिला चिकित्सालय की हालात खराब, प्रांगण में टूटी फर्श, गेट पर नही लगा बोर्ड

अम्बेडकरनगर। जलालपुर कस्बे में संचालित महिला अस्पताल अव्यवस्थाओं का शिकार है। कहने को जलालपुर कस्बे में महिला अस्पताल है, लेकिन यहां व्यवस्थाओं का दंश झेल रहा हैं जलालपुर कस्बे का महिला चिकित्सालय आर. के. एस. में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण उपेक्षा का डांस झेल रहा है। जबकि यह महिला चिकित्सालय बहुत पुराना है फिर भी आर.के. एस. में रजिस्ट्रेशन न होना एक प्रकार की विभागीय उपेक्षा भी कहीं जा सकती है। इसका खामियाजा सीधे मरीजों को उठाना पड़ रहा है। 
 
महिला चिकित्सालय के अंदर प्रवेश करने के बाद ही पता चलता है कि यह महिला चिकित्सालय है। चिकित्सालय के बाहर कोई बोर्ड भी नहीं लगा हुआ है परिसर के अंदर की फर्स खस्ता हाल है तथा मरीजों के साथ आने जाने वाले परिजनों के बैठने की व्यवस्था भी देनी है जिसको जाकर स्थल पर अपनी आंखों से देखा जा सकता है ,जलालपुर कस्बे की आधी आबादी के इलाज का बोझ उठाने वाला महिला चिकित्सालय जिम्मेदार लोगों के उपेक्षा का दंश झेल रहा है। इस अस्पताल के उच्चीकरण और संसाधनों की व्यवस्था को लेकर कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे है।
 
शायद यही कारण है कि वर्षों से स्थिति जस की तस बनी हुई है।जलालपुर महिला चिकित्सालय पर जिले की आधी आबादी की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य का दारोमदार है। इस अस्पताल में क्षेत्र के सुदूरवर्ती इलाकों की महिला मरीज आती हैं। लोगों द्वारा बताया जाता है की महिला चिकित्सालय जलालपुर का संचालक फार्मासिस्ट के द्वारा किया जाता है, नाम न छापने की शर्त पर लोगों द्वारा यह भी बताया गया की फार्मासिस्ट के गत 6 वर्ष तैनाती के होने के पश्चात उनकी जगह ज्यादा मजबूत हो चुकी है जिसके कारण उनकी तूती यहां बोलती है, कुछ लोगों द्वारा बताया गया कि जब तक फार्मासिस्ट का स्थानांतरण महिला चिकित्सालय से नहीं होता है तब तक इसकी व्यवस्था में सुधार नहीं आएगा।
 
अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है। यहां तैनात चिकित्सक भी मनमाने तरीके से कार्य करते है। लंबे समय के बाद जिले को अपना सीएमओ मिला है। उम्मीद थी कि नए सीएमओ के आने के बाद हो सकता है स्थिति में कुछ बदलाव हो लेकिन सब कुछ उसी पुराने ढर्रें पर चल रहा है। इससे सीधे तौर पर यहां आने वाले मरीज प्रभावित होते हैं। मरीजों की बात सुनने वाला जिला महिला अस्पताल में कोई नहीं है।
 

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