आफत में डायरिया के मरीजों की जान… अस्पताल में इमरजेंसी मे नहीं है सुविधा, मरीज होते हैं परेशान
बच्चों के इलाज के लिए नहीं बना अलग वार्ड
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अम्बेडकरनगर।
भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। डायरिया, बुखार से पीड़ित बच्चों व अन्य मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। जिला चिकित्सालय की ओपीडी में ऐसे मरीजों की भीड़ बढ़ी है। दूसरी ओर चिकित्सकों के गायब रहने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा। पर्ची काउंटर से लेकर दवा वितरण पटल तक काफी भीड़ दिखी। महिलाएं भी पर्ची बनवाने के लिए घंटों कतार में लगी रहीं।
लाखों रुपये खर्च कर संसाधन खरीदने में विभाग ने तेजी दिखाई, लेकिन इसका लाभ जनता तक पहुंचाने में उदासीनता बरती जा रही है। जिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला अस्पताल में सुविधा के अलावा स्टाफ की बढ़े है। इसके बावजूद डॉक्टरों की मनमानी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।डॉक्टरों की मनमानी आए दिन सामने आती रहती है। फिर भी जिला प्रशासन को जिला अस्पताल में व्यवस्था बनाने के लिए कोई मतलब ही नहीं है।
जिला अस्पताल में व्यवस्था को लेकर झांकने तक की फुर्सत कलेक्टर को नहीं है। जबकि जिला अधिकारी के आने के पश्चात दूसरे दिन ही लोअर और टीशर्ट में जिला अस्पताल का जायजा लेने गए हुए थे और वहां खामियां भी पाई गई थी।उमस लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ संक्रामक रोग भी फैल रहा है। डायरिया, बुखार, पेट दर्द जैसी बीमारियों की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। जिला चिकित्सालय के सभी विभागों में मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है, लेकिन चिकित्सालय प्रशासन कोई इससे निपटने के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं करता और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
यदि आपके द्वारा जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं को लेकर सीएमओ या सीएमएस से शिकायत कर दी तो आपका मरीज किया जा सकता है रिफर। ऐसी ही कुछ घटना मीडिया कर्मियों को जिला अस्पताल में देखने को मिली जिसमें पीड़ित के द्वारा सीएमओ के पास मौजूद चिकित्सक की शिकायत की गई उसके पश्चात उसको रेफर कर दिया गया। इन सब समस्याओं को देखते हुए मीडिया कर्मियों द्वारा सीएमएस को फोन किया गया परंतु उनके द्वारा बताया गया कि हम लखनऊ इस समय सरकारी कार्य के उद्देश्य से आए हुए हैं तत्पश्चात सी एम ओ को फोन किया गया तो उनके द्वारा जब स्पेशलिस्ट को भेजा गया तो उनके द्वारा पीड़ित मरीज को ही रेफर कर दिया गया पीड़ित मरीज को देखने का प्रयास नहीं किया गया।
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