राम-भरत मिलाप की कथा सुन भावुक हो उठे श्रोता

प्रताप सिंह, मनीष सिंह, मनोज सिंह, माता प्रसाद सिंह, राहुल सिंह , असलम खां, पंकज पांडेय, अनमोल अग्रहरि, अनुराग सिंह, सर्वेश तिवारी, संजय तिवारी सहित हजारों लोग मौजूद रहे 


स्वतंत्र प्रभात 
 

दियरा,सुलतानपुर जयसिंहपुर तहसील के दियरा बाजार में पूज्य संत बाबा दयारामदास जी महाराज के सानिध्य में चल रही भव्य संगीतमयी श्री राम कथा के सातवें दिन कथावाचक चन्ददेव महाराज ने हनुमत चरित्र का विस्तृत वर्णन कर भक्तों भावविभोर कर दिया वहीं पर जौनपुर की पावन धरा से आए पं अनिल पाण्डेय जी महाराज से राम वनगमन व राम भरत मिलाप की कथा सुनकर लोग भावुक हो गए। महाराज ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि चारों पुत्रों का विवाह होने के बाद राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया। यह समाचार सुनकर नगर में खुशियां मनाई जाने लगीं। इसी बीच महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को 14 वर्ष वनवास का वर मांग लिया। पिता की आज्ञा पाकर भगवान राम ने जब भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान किया तो पूरी अयोध्या नगरी

उनके पीछे-पीछे चल पड़ी, जिन्हें राम ने वापस किया। जब भगवान राम गंगा नदी पार करने के लिए उसके तट पर पहुंचे तो यह खबर सुनते ही निषाद राज केवट खुशी से फूले नही समाए। उन्हें नदी के पार उतारा। जब भगवान राम उतराई के तौर पर निषाद को मां सीता की अंगूठी देने लगे तो निषाद राज ने कहा कि हे भगवान जिस तरह मैने आपको नैया से गंगा के इस पार उतारा है, उसी प्रकार आप मेरी भी नैया को भवसागर से उस पार लगा देना। राम के वन में जाने के बाद भरत उन्हें मनाने पहुंचे। राम ने कहा कि मैने पिताजी को वचन दिया है कि मैं 14 वर्ष का वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटूंगा। तब भरत राम की'चरण पादुकाएं'सिर पर रखकर अयोध्या ले आए और उन्हें ¨सहासन पर रखकर सेवक के रूप में राजकाज संभालने लगे। श्री राम कथा मे समस्त क्षेत्रवासियों का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर महेंद्र प्रताप सिंह, मनीष सिंह, मनोज सिंह, माता प्रसाद सिंह, राहुल सिंह , असलम खां, पंकज पांडेय, अनमोल अग्रहरि, अनुराग सिंह, सर्वेश तिवारी, संजय तिवारी सहित हजारों लोग मौजूद रहे।

About The Author: Swatantra Prabhat