कोरोना से पूर्व के कुछ एपिडेमिक और पैंडेमिक (महामारी ) घटनाये

Pooja Tiwari – Seattle, Washington (USA)स्वतंत्र प्रभात (वाशिंगटन) आज मै इस ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठकों को कुछ एपिडेमिक और पैंडेमिक घटनाओं के बारे में अवगत कराना चाहूँगी जो कि कोरोना के पहले घटित हो चुका है। आईये पहले हम जान लेते हैं, की एपिडेमिक और पैंडेमिक होता क्या है। दोनों का मतलब महामारी ही होता है,

Pooja Tiwari – Seattle, Washington (USA)
स्वतंत्र प्रभात (वाशिंगटन)

आज मै इस ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठकों को कुछ एपिडेमिक और पैंडेमिक घटनाओं के बारे में अवगत कराना चाहूँगी जो कि कोरोना के पहले घटित हो चुका है। आईये पहले हम जान लेते हैं, की एपिडेमिक और पैंडेमिक होता क्या है। दोनों का मतलब महामारी ही होता है, लेकिन जिस महामारी का प्रकोप कुछ विशेष क्षेत्र जैसे किसी 1 देश या 1 देश के कुछ क्षेत्र में होता है, तो उसे एपिडेमिक कहते हैं। और ऐसी संक्रामक महामारी जो एक जगह से कई देशों, महाद्वीपों या पूरे विश्व” में प्रचलित हों, उसे पैंडेमिक कहते हैं।

ग्रेट प्लेग ऑफ़ मार्सिले : 1720-1723

ऐतिहासिक रिकॉर्ड कहते हैं, कि ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले की शुरुआत तब हुई जब ग्रैंड-सेंट-एंटोनी नाम का एक जहाज फ्रांस के मार्सिले में पूर्वी भूमध्यसागरीय वस्तुओं का माल लेकर जा रहा था। हालांकि जहाज को क्वारंटाइन  कर दिया गया था, फिर भी प्लेग शहर में फैल रहा था, ये महामारी पिस्सू (कॉकरोच )से फैल रही थी। जो पिस्सू प्लेग से संक्रमित थे उनकी वजह से और जगहों पर फैल रहा था। ये महामारी बहुत तेज से फैल रही थी, और अगले तीन वर्षों में, मार्सिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में 100,000 से अधिक लोगों की मौत हो हुई थी। यह अनुमान लगाया जाता है, कि मार्सिले की आबादी का लगभग 30% तक विनाश हो गया था। हालांकि ये महामारी एपिडेमिक थी। 

फ्लू महामारी (पैंडेमिक): 1889 -1890

एक घातक इन्फ्लूएंजा महामारी थी। जिसे “एशियाई फ्लू” या “रूसी फ्लू” के रूप में जाना जाता है। क्योंकि सबसे शुरुआती मामले रूस में सामने आए थे, और कुछ ही महीनों में, इस बीमारी ने दुनिया भर में पैर पसार लिया था, जिससे लगभग 10,00,000 लोगों की मौत हुई थी। इस महामारी को चरम मृत्यु तक पहुंचने में सिर्फ पांच सप्ताह का समय लगा था।  तथ्य यह है, कि उस समय हवाई यात्रा  मौजूद नहीं थी, इसके बावजूद यह वायरस सेंट पीटर्सबर्ग में तेजी से फैला और इससे पहले यह यूरोप और दुनिया के बाकी हिस्सों में भी तेजी से फैल हुआ था।

स्पेनिश फ्लू: 1918 -1920 

दक्षिणी समुद्र से उत्तरी ध्रुव तक अनुमानित 50 करोड़ लोग स्पेनिश फ्लू के शिकार हुए। उनमें से हर पांच व्यक्ति में एक व्यक्ति का निधन हुआ था। इन्फ्लूएंजा महामारी हाल के इतिहास में बहुत ही गंभीर महामारी थी। 

इसका ठीक से पता नहीं चल पाया की किस देश से यह महामारी उभरी हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका में, यह पहली बार वसंत ऋतु  1918 में सैन्य कर्मियों में पहचाना गया था।  

एड्स महामारी 

एड्स  को जब से पहली बार पहचाना गया था, तब से अनुमानित 3.5 करोड़ लोग इस रोग से ग्रसित हैं । एड्स  एचआईवी  वायरस के कारण होता है, माना जाता है, कि ये वायरस चिंपांज़ी में  विकसित हुआ था, जो 1920 के दशक में पश्चिम अफ्रीका में मनुष्यों में स्थानांतरित हुआ था। इस वायरस ने दुनिया भर में अपना रास्ता बना लिया, और 20 वीं शताब्दी के अंत तक एड्स एक महामारी बन गयी थी । इस महामारी से ग्रसित होने वाले अनुमानित 3.5 करोड़  में से लगभग 64% उप-सहारा अफ्रीका में रहते हैं। लेकिन इस बीमारी में 1 बात है की ये किसी के साथ बैठने, साथ खाने, या हाथ मिलाने से नहीं बल्कि संक्रमित लोगों से असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से फैलता  है। 

दशकों से, इस महामारी  का कोई ज्ञात इलाज नहीं था, लेकिन 1990 के दशक में एक दवा विकसित हुई जो अब लोगों का नियमित उपचार के साथ सामान्य जीवन जीने का अनुभव करा रही है। इससे भी अधिक उत्साहजनक बात यह कि, आंकड़े बताते हैं की दो लोगों को 2020 की शुरुआत तक एचआईवी से ठीक किया गया।

एच 1 एन 1(H1N1) स्वाइन फ्लू महामारी: 2009-2010

2009 का स्वाइन फ्लू एच 1 एन 1 वायरस की वजह से फैला हुआ था। जिसकी शुरुवात मैक्सिको में बसंत ऋतु 2009 में शुरू हुआ था,और अप्रैल 2010 तक चला था । सी डी सी के मुताबिक इस वायरस से 1 साल के अंदर दुनिया भर में लगभग 140 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे। और लगभग 151,700 से 575,400 लोगों की मौत हुई थी।सी डी सी के मुताबिक उस  समय ज्यादातर व्यस्क और बच्चे इस वायरस से संक्रमित हुए थे, जिसमे से 80% मौत 65 के नीचे की हुई थी। जबकि कोरोना वायरस ज्यादा प्रभावित 65 साल से ऊपर के लोग को कर  रही है। 

इसका मुख्य कारण  था कि स्वाइन फ्लू  स्पेनिश फ्लू जैसा वायरस था जो की 1920 में फैला था, जिसकी वजह से  बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम वैसा वायरस झेलने के लिए तैयार हो गया था, और बुजुर्ग कम प्रभावित हुए थे।

इबोला वायरस: 2014-2016 

ये वायरस वेस्ट अफ्रीका में फैला था। इसमें करीब 28,600 लोग संक्रमित थे और लगभग 11,325 लोग मौत के शिकार हुए थे। हालांकि ये महामारी एपिडेमिक थी।

इबोला विषाणु रोग (EVD) या इबोला हेमोराहैजिक बुखार (EHF) इबोला विषाणु के कारण लगने वाला अत्यन्त संक्रामक एवं घातक रोग है। आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होता है, जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होता है। आम तौर पर मिचली , उल्टी और डायरिया होने के साथ-साथ जिगर और गुर्दा का कामकाज धीमा हो जाता है। इस स्थिति में, कुछ लोगों को खून बहने की समस्या शुरू हो जाती है।

यह वायरस संक्रमित जानवर (सामान्यतया बंदर या फ्रुट बैट (एक प्रकार का चमगाद्ड़)के खून या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से होता है।

 इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। संक्रमित लोगों की सहायता की कोशिशों में उन्हें ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (पीने के लिए थोड़ा-सा मीठा और नमकीन पानी देना) या इंट्रावेनस फ्लुड्स देना शामिल है। इस बीमारी में मृत्य दरबेहद उच्च है, अक्सर इस वायरस के संक्रमित होने वाले 50% से 90% तक लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।

ज़ीका वायरस 2015 से अब तक 

जीका वायरस आमतौर पर एडीस जीन के मच्छरों के माध्यम से फैलता है, हालांकि यह मनुष्यों में यौन संचारित भी हो सकता है।

 जीका आमतौर पर वयस्कों या बच्चों के लिए हानिकारक नहीं है, यह उन शिशुओं पर हमला कर सकता है जो अभी भी गर्भ में हैं और जन्म दोष पैदा करते हैं। जीका संक्रमण एपिडेमिक है, जिसका प्रभाव साउथ अमेरिका और मध्य अमेरिका में देखने को मिलता है।

मेरा इस ब्लॉग को लिखने का मुख्य कारण यह कि मै लोगों को अवगत कराऊँ की कोरोना के पहले भी बहुत सारी महामारियाँ  फैली हुई थी। और पता नहीं कितने लाखों को काल का ग्रास बनायी।

About The Author: Swatantra Prabhat