RSS की ड्रेस जैसा रंग, गहलोत सरकार ने सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म बदली

पूर्व शिक्षा मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म बदलने का फैसला छह सदस्यीय कमेटी की सिफारिश पर लिया गया है।



राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने कार्यकाल के चार साल बाद सरकारी स्कूल की वर्दी का रंग बदल दिया है। इससे पहले पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने 2017 में स्कूल के छात्रों की ड्रेस का रंग बदला था जो आरएसएस की वर्दी से प्रेरित था।

गहलोत सरकार के आदेश के मुताबिक, अगले शैक्षणिक सत्र (2022-23) में छात्र सर्फ ब्लू कलर की शर्ट और डार्क ग्रे पैंट में नजर आएंगे। जबकि लड़कियां सर्फ ब्लू कलर का कुर्ता या शर्ट और डार्क ग्रे सलवार/स्कर्ट में होंगी। वर्दी में बदलाव का असर प्रदेश की 64,000 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ेगा।

प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों को वर्दी मुफ्त प्रदान की जाएगी, जो लगभग 70 लाख हैं। बाकी लगभग 28 लाख छात्रों को नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को खुद अपनी ड्रेस खरीदनी होगी।

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि वर्दी बदलने की प्रक्रिया पूर्व मंत्री (गोविंद सिंह डोटासरा) ने शुरू कर दी थी और मंजूरी दे दी थी। उन्होंने कहा, "वर्दी का रंग बदलने के पीछे कुछ भी राजनीति नहीं है। यह भाजपा है जो हमेशा एक एजेंडे पर काम करती है, चाहे वह छात्रों को दी जाने वाली साइकिल का रंग बदलकर भगवा कर देना हो।"

पूर्व शिक्षा मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म बदलने का फैसला छह सदस्यीय कमेटी की सिफारिश पर लिया गया है। उन्होंने कहा, "समिति ने 2017 में भाजपा सरकार के दौरान शुरू की गई वर्दी के बारे में माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों की शिकायतों पर विचार किया और एक बदलाव की सिफारिश की।"

दरअसल, 1997 से राजस्थान के सरकारी स्कूलों में बच्चों की ड्रेस लड़कों के लिए नीली शर्ट और खाकी शॉर्ट्स या पतलून हुआ करती थी, जबकि छात्राएं नीला कुर्ता और सफेद सलवार या स्कर्ट पहना करती थी। लेकिन 2017 में वसुंधरा राजे सरकार ने ड्रेस में बदलाव करते हुए छात्रों की ड्रेस भूरे रंग की पतलून या शॉर्ट्स में बदल दी और छात्राओं के लिए हल्के भूरे रंग का कुर्ता या भूरे रंग के सलवार या स्कर्ट के साथ शर्ट में बदल दिया गया था।


कांग्रेस सरकार का निरंकुश निर्णयः भाजपा

उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता पहले से ही कोरोना महामारी के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित थे और अब यह एक अतिरिक्त बोझ उन पर मढ़ा गया है। कहा, "हमने छात्रों और अभिभावकों की मांग पर 17 साल बाद वर्दी का रंग बदला था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।" देवनानी ने कहा कि बिना किसी आवश्यकता के बार-बार वर्दी बदलना स्वागत योग्य कदम नहीं है। भाजपा सरकार ने छात्रों के मनोबल को बढ़ाने और एक नया रूप देने के लिए यह कार्य किया था।

उधर, घटनाक्रम से परिचित एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पतलून और सलवार का रंग 2016 में शुरू की गई आरएसएस की वर्दी के समान था और इसे बदलने का कांग्रेस सरकार का फैसला एक राजनीतिक एजेंडा है। भाजपा विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इस फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा, "उनके पास वर्दी का रंग बदलने के पीछे कोई कारण या तर्क नहीं है और केवल पिछली भाजपा सरकार ने जो किया है उसे बदलने के लिए किया है। यह एक निरंकुश निर्णय है।"

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