मां के जैसा संसार में कोई नही-डॉ.स्वतत्र मिश्रा

मां के जैसा संसार में कोई नही-डॉ.स्वतत्र मिश्रा



स्वतंत्र प्रभात संजय द्विवेदी
मेजा प्रयागराज


दुर्गावती इंटरनेशनल स्कूल एंड कॉलेज चपारण स्टेट गोसौरा कला मेजा रोड में मातृ दिवस की पूर्व संध्या पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विद्यालय प्रबंधन द्वारा विद्यालय में पढ रहे सभी छात्र छात्राओं की माताओं को आमंत्रित किया गया था।

 विद्यालय में पहुंची सभी माताओं का उनके बच्चों के द्वारा चंदन टीका लगाया गया तत्पश्चात माताओं का माल्यार्पण करने के  पश्चात प्रत्येक बच्चों द्वारा अपनी अपनी माताओं की आरती की गई। माताओं के पूजन के समय विद्यालय के छात्र छात्राओं के ग्रुप द्वारा गीत "तू मंन्दिर मन्दिर क्या भटके"और"मेरी मां तू प्यारी मां"गाते रहे जिससे पूरा माहौल मातृ मय में हो गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी माताओं एवं छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक और पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ स्वतंत्र मिश्रा ने कहा कि मातृ दिवस का अर्थ मां का दिल होता है। जब एक शीशु जन्म लेता है तो उसका पहला रिश्ता मां से होता है। 

एक मां शिशु को पूरे नौ माह अपने कोख में रखने को बाद जन्म देती है। इन नौ महीनो में शिशु और मां के बीच एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता बन जाता है। और यह रिश्ता जीवन पर्यत बना रहता है। बच्चे को जरा भी तकलीफ होने पर मां बेचैन होती है। वही तकलीफ के समय बच्चा भी मां को याद करता है। मां का दुलार और प्यार भरी पूचकार ही बच्चो के लिए दवा का कार्य करती है। इसलिए ममता और स्नेह के इस रिश्ते को संसार का सबसे खूबसूरत रिश्ता कहलाता है।

 दुनिया का कोई भी रिश्ता इतना मर्मस्पर्सी नहीं हो सकता है।कुल मिलाकर कहे तो मां के जैसा संसार में कुछ भी नहीं है।यह ईश्वर द्वारा बनाई गई सबसे अनमोल धरोहर है। बाद में डॉ मिश्रा ने उपस्थित जनों को जानकारी देते हुए बताया कि मातृ दिवस मनाने की शुरुआत सर्वप्रथम ग्रीस देश में शुरू हुई थी जहां देवताओं की मां को पूजने का चलन शुरू हुआ बाद में इसे मातृ दिवस का रूप में मनाया जाने लगा।

जबकि हिंदुस्तान में सनातन काल से ही हर दिन मातृ दिवस की तरह माताओं का सम्मान होता चला आ रहा है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अध्यापिका सुधांशु दुर्वी हेरा,हिना गोस्वामी आकर्षिता श्रीवास्तव पवन अमित वाजपेई पुष्पराज त्रिपाठी अंकुर रितेश आदि की प्रमुख भूमिका रही।
 

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