ग्रामीणों ने डीएम कार्यालय पर दिया धरना, सीआरओ और सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा रास्ता बंद करने का कर रहे ग्रामीण विरोध


गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पीछे बसे गांव वालों को मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा रास्ता पूर्ण रूप से स्थाई दीवाल चलाकर बंद कर देने से नारकीय जीवन जीने को मजबूर  हैं। बिगत 50 वर्षों से शाहपुर, शाहगंज, मरीजगंज, लालगंज, जंगल छत्रधारी, सेमरा मायानगरी ,महेशपुरम नारायण नगरी तारानगर के लोग आने जाने के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के रास्ते का ही इस्तेमाल करते थे। इसे लेकर कई बार आपत्ति भी जताई गई थी, मगर ग्रामीणों के विरोध की वजह से रास्ता बंद नहीं हो पाता था। 2020 में कोविड-19 बढ़ने से मेडिकल प्रशासन ने कोविड-19 का हवाला देते हुए

अस्थाई तौर पर रास्ते को बंद कर दिया था। लेकिन इन दिनों स्थाई चारदीवारी चला कर रास्ते को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया ग्रामीण अपना रास्ता खुलवाने के लिए प्रशासन व शासन के ऊपर दबाव बनाने के लिए विगत कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, बीते दिनों दिए गए धरना में आश्वासन दिया गया था, कि 10 दिसंबर से कोई सार्थक प्रणाम निकाला जाएगा जिससे ग्रामीणों को आने जाने की सुविधा प्रदान की जा सके।

 10 तारीख बीतने के बाद ही ग्रामीणों ने राणा राहुल सिंह व अमरेंद्र निषाद के नेतृत्व सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष ग्रामीण जिला अधिकारी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करते हुए मांग किया कि जब तक हम लोगों का रास्ता नहीं खोला जाएगा। तब तक घर वापसी नहीं होगी लेकिन सीआरओ सुशील कुमार गौड़ और  सिटी मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव ने सूझबूझ का परिचय देते हुए आए हुए ग्रामीणों से वार्ता करते हुए

धरना प्रदर्शन समाप्त कर राहत की सांस ली ,की आने वाले बृहस्पतिवार तक रास्ता निकलने की उम्मीद पर आए हुए ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन को समाप्त किया। अब देखना है कि आने वाले बृहस्पतिवार तक किस तरह रास्ता दीया जाता है या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ग्रामीणों को रास्ता उपलब्ध कराया जाएगा क्योंकि ग्रामीणों ने जाने से पहले प्रशासन के जिम्मेदार से कहते हुए गए हैं कि बृहस्पतिवार तक समाधान नहीं निकला तो शुक्रवार से अनिश्चितकालीन तक धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

मालूम हो कि कैंपस में स्थित डॉक्टरों के सरकारी आवास में कई बार चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। डॉक्टर इसे लेकर बार-बार इस गेट को बंद करने की मांग करते थे। उनका यही कहना था कि इस गेट की वजह से ही सुरक्षा में चूक के कारण चोरी की घटनाएं होती हैं।बीआरडी के बीच से गुजरने वाली जिस सड़क पर विवाद हो रहा है। वह 1989 में बनी थी। इसी रास्ते का उद्घाटन पूर्व सांसद महंत अवेद्यनाथ ने किया था।

उस वक्त उन्होंने इसका नाम मद्य निषेध मार्ग दिया था। यह रास्ता बीआरडी कॉलेज प्रशासन के लिए मुसीबत बन गया है। अब देखना है कि मेडिकल प्रशासन व जिला प्रशासन किस रणनीति के तहत है ग्रामीणों को चुनाव के दौर में खुश करने में कामयाबी पाती है या नहीं यह तो समय बताएगा।

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