अपना दल एस पार्टी बबेरु ने केंद्रीय विद्यालय चालू करने की मांग

बाँदा में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना शासन की शर्तों में उलझ गई है


बाँदा चित्रकूटधाम मंडल बाँदा में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना शासन की शर्तों में उलझ गई है। दो वर्ष पूर्व बांदा में इस विद्यालय की मंजूरी मिलने के बाद भी अब तक यह चालू नहीं हो पाया। अस्थायी संचालन के लिए मांगी गई अनुमति की फाइल शासन में अटकी हुई है। इस अनुमति के बगैर केंद्रीय विद्यालय के लिए खुद का भवन निर्माण नहीं हो सकता।

अपना दल एस पार्टी बबेरु के विधानसभा अध्यक्ष अरुण कुमार पटेल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बांदा में केन्द्रीय विद्यालय खुलने में जो दिक्कतें आ रही हैं, वो कहीं न कहीं इच्छाशक्ति में कमी को बयां करती है। शासन और प्रशासन आखिर क्यों एक छोटे से प्वाइंट पर आकर अटक जाते हैं ? जबकि बांदा में वर्ष 2019-20 में केंद्रीय विद्यालय की स्वीकृति मिली थी। भवन न तैयार होने तक पचनेही गांव के पंडित दीनदयाल राजकीय मॉडल इंटर कालेज में अस्थायी रूप से केंद्रीय विद्यालय संचालित किए जाने की अनुमति शासन से मांगी गई थी, लेकिन शासन ने अब तक अनुमति नहीं दी है, इसलिए केंद्रीय विद्यालय शुरू नहीं हो सका।

विधानसभा अध्यक्ष अरुण कुमार पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं वाले केंद्रीय विद्यालय की चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय बांदा में स्थापना के लिए कई वर्षों से कवायदें चल रही हैं। शासन से इसे मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन शर्तों में उलझी फाइल को निस्तारित कर विद्यालय को धरातल पर लाने की कोशिशें यहां के जनप्रतिनिधि भी करते नहीं नजर आ रहे हैं।हालांकि इस समय बाँदा जिले के डीएम अनुराग पटेल है ,

और उन्हें  पूरा भरोसा है कि  डीएम बांदा के रहते जिलेवासियों को शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही जल्द ही कुछ अच्छा देखने व सुनने को मिलेगा । वही विधानसभा अध्यक्ष बबेरु अरुण कुमार पटेल ने  जिले के नेता ,विधायक, सांसद ,मंत्री सहित सभी जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाया कि इनकी विचारधारा जनता के विपरीत है और वो चाहते भी नही है क्षेत्रीय जनता पढी-लिखी हो ,साथ ही क्षेत्रीय जनता को क्या कहे , आमजनता भी रोटी,कपड़ा, मकान तक सीमित रह गयी है ,साथ ही कहा कि अब देखना है कि आखिर डीएम अनुराग पटेल बाँदा  के द्वारा क्या पहल की जा जाएगी या नहीं ?

मुझे पता नहीं क्यों लगता है कि हमारे बांदा की जनता को कुछ चाहिए ही नहीं, वरना केन्द्रीय विद्यालय का मामला इतने वर्षों से लटका न रहता ? जनता भी मस्त है, इसीलिए सत्ता भी व्यस्त है

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