अर्नब पर विरोध जताने वाले बतांए,यूपी के पत्रकारों के उत्पीड़न पर क्यों खामोश रही सरकार?
ए •के • फारूखी (रिपोर्टर )
ज्ञानपुर,भदोही ।
महाराष्ट्र में रिपब्लिक टीवी के संपादक की गिरफ्तारी को लेकर यूपी में हो- हल्ला मचाने वालों को सियासत करने का मौका मिल गया है।गिरफ्तारी को लेकर भाजपा सहित तमाम संगठनों ने कार्यवाही को गलत ठहराते हुए महाराष्ट्र सरकार पर धरना-प्रदर्शन कर गहरा विरोध जताया है। बताते चलें कि बीते एक वर्ष में उत्तर प्रदेश में भी लगभग 40 पत्रकारों की हत्याएं हुई।
आखिर ये लोग उस समय क्यो खामोश रहे क्या उस समय यह कृत्य लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया को स्वतंत्र रूप से कार्य करने से रोकने का कुत्सित प्रयास नही था , जो आज अर्नब की गिरफ्तारी पर बिलबिला रहे हैं।और इस गिरफ्तारी से इन्हें अब लोकतन्त्र की याद आ रही है।नौटंकी इसी को कहते हैं।
आपको भलीभांति पता है कि इसी सरकार में मिड डे मील नाम पर मासूम बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की खबर सामने लाने वाले मिर्जापुर के पत्रकार पवन जायसवाल, या फिर भ्रष्टाचार उजागर करने वाले प्रशांत कन्नौजिया , मनीष पाण्डेय के साथ इसी सरकार ने क्या किया था? तो इसे क्या कहेंगे इमरजेंसी या रामराज ।
यह भी बताते चलें कि पत्रकार गौरी लंकेश,नरेन्द्र दाभोलकर पर जानलेवा हमले होते हैं।प्रशांत कन्नौजिया को जेल में डाल दिया जाता है।दलित पत्रकार मीना कोटवाल के साथ हाल ही में बदसलूकी की जाती है।तब अर्बन के समर्थन में उतरने वाले लोग आखिर चुपचाप क्यूं हैं, पूछता है भारत…