किसी सम्मानित को मीडिया द्वारा बदनाम करना ओछी मानसिकता ।
ए •के • फारूखी (रिपोर्टर )
ज्ञानपुर,भदोही ।
आज के दौर में समाचार पत्र बेचने की होड़ में कतिपय मीडिया कर्मी अश्लील व गलत समाचार पत्रों के माध्यम से सम्मानित लोगों पर अपशब्दों का प्रयोग कर अपराधियों से भी बड़े अपराध कर रहे हैं। पत्रकारों को देश के सबसे अधिक राजनीतिक ऐतिहासिक और लोगों के विभिन्न विषयों के बारे में आवश्यक जानकारी होना चाहिए तभी वह कलमकार अपने उद्देश्यों में सफल हो सकता है।
मीडिया का प्रयोग समुचित और सुरक्षित ढंग से किया जाए तो यह समाज के लिए अच्छा माध्यम साबित हो सकता है। परंतु इसी मीडिया का प्रयोग भ्रामक और अवांछित तरीके या जानबूझकर किसी सम्मानित को बदनाम करने के लिए किया जाए, तो समाज के लिए खतरा ही होगा।
वर्तमान दौर में कई ऐसे बेव साइड और समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं जो अपने छोड़ दूसरों के लिए समाचारों के तोड़ मरोड़ कर प्रकाशित करने से बाज नहीं आ रहे हैं । इसके विकराल होते जा रहे भ्रमजाल और मोहपाश में जकड़ते जाने के कारण हमारी संस्कृति सभ्यता के मानदंडों, पारिवारिक सामाजिक प्रतिष्ठा एवं नैतिक मूल्यों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
यह दो राय नहीं कि आज का सोशल मीडिया भी समाज के लिए खतरा बन गया है किसी भी सूचना को किसी भी प्रकार से तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा सकता है । उसका स्वरूप बदला जा सकता है। फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके किसी के भी बारे में भ्रम फैला सकते हैं। जो समाज में नकरात्मक भावना पैदा कर देते हैं।
आजकल साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम भी कुछ सोशल मीडिया और वेबसाइट चैनल कर रहे हैं। सोशल मीडिया से साइबर अपराध भी बढ़ गए हैं । लोगों को भ्रामक पोस्ट फॉलो कर देने से पहले तो बचना चाहिए और पोस्ट की सत्यता जाने बिना उसे आजाद फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए।