बेगुनाह किरायेदार सर्वेश को लंका पुलिस की एक चूक ने बना दिया मुजरिम,बिना जांच भेज दिया जेल ।

लोगों की एसपी से गुहार, अभियुक्त की तीन मासूम बेटियों को दिलाएं इंसाफ । ए• के • फारूखी ( रिपोर्टर ) ज्ञानपुर, भदोही । कुछ माह पूर्व मासूम बेटी को जन्म देने के बाद मृत हुई पत्नी प्रीति के असमय चले जाने के गम के बाद टूट चुके लहरतारा में किराए के कमरे में रहने

लोगों की एसपी से गुहार, अभियुक्त की तीन मासूम बेटियों को दिलाएं इंसाफ ।

ए• के • फारूखी ( रिपोर्टर )

ज्ञानपुर, भदोही ।

कुछ माह पूर्व मासूम बेटी को जन्म देने के बाद मृत हुई पत्नी प्रीति के असमय चले जाने के गम के बाद टूट चुके लहरतारा में किराए के कमरे में रहने वाले मूल रूप से भदोही जनपद निवासी सर्वेश शर्मा के जिंदगी का एक ही मकसद था,कि दुधमुंही बच्ची समेत दो अन्य मासूम बेटियों के बेहतर परवरिश करे ।

गरीबी में भी पत्नी और दो बेटियों के साथ किराये के कमरे में गुजर बसर कर रहा सर्वेश कुछ महीने पहले तक खुद को दुनिया का सबसे खुशहाल व्यक्ति मानता था।लेकिन अचानक से किस्मत ऐसी रूठी की जान से प्यारी लगभग 30 वर्षीय पत्नी प्रीति प्रसव के दौरान नवजात बेटी को जन्म देकर चल बसी।इस घटना के बाद लगभग 32 वर्षीय सर्वेश पूरी तरह से टूट कर बिखर गया।

पत्नी के जाने के बाद अचानक से आये वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के चलते रोजी-रोटी की चिंता संग दुधमुंही बच्ची संग दो अन्य बेटियों के परवरिश की चिंता ने सर्वेश को पूरी तरह से जिंदा लाश बना दिया।सर्वेश के समस्याओं का यह सिलसिला यहीं समाप्त नही होता परेशानी तो इसके बाद शुरू होती है।

तीनों मासूम बेटियों की माँ बनकर परवरिश करने वाला पिता सर्वेश इधर कुछ दिनों से लगातार अस्वस्थ रहने के कारण 27 अक्टूबर को खुद को बीएचयू हॉस्पिटल में दिखाने के लिए निकला।वह हॉस्पिटल  के लिए लहरतारा स्थित किराये के कमरे से पैदल ही निकला भी।लहरतारा से बीएचयू की तरफ जा रहा एक परिचित बाइक सवार मिला तो सर्वेश उसके साथ हो लिया।

लंका थाना क्षेत्र में पहुँचने पर बाइक चालक युवक सर्वेश को बाइक पर बिठाये हुए ही रास्ते में अपने पुराने कम्पनी के मालिक के घर पहुँच जाता है। किसी बात को लेकर बाइक चालक और उसके पुराने मालिक में बहश शुरू हो जाती है।इस दौरान सर्वेश खुद से बाइक से उतर कर बगल में खड़ा हो जाता है।बहश के बाद बाइक चालक तो भाग जाता है।

बाइक चालक का मालिक सर्वेश को बाइक चालक का दोस्त जानकर अपने दोस्तों के साथ बुरी तरह पिटाई करने लगता है।बुरी तरह से सर्वेश के चोटिल हो जाने पर घबड़ाया हमलावर खुद पुलिसिया कार्यवाई से बचने के लिए सर्वेश को लंका थाने ले जाकर बाइक चालक संग सर्वेश को भी पार्टी बनाते हुए एक  शिकायत पत्र डाल देता है।

शिकायती पत्र पाकर लंका पुलिस ने बिना जांच किये ही ऐसी तेजी दिखाई कि बाइक चालक का तलाश करना उचित तक नहीं समझा और सर्वेश को ही मुकदमा अपराध संख्या 730 में धारा 323,504,506 और 452 का अभियुक्त बताते हुए जुर्म स्वीकार करने और कोई परिचित नहीं होने का झूठा कागजी अभिलेख तैयार करते हुए जेल भेज दिया।

पुलिस ने सर्वेश को रात भर पुलिस हिरासत में रखा और दुर्भाग्य की बात रही कि इस दौरान पुलिस ने सर्वेश के किसी परिचित तक को सूचना नहीं दी।दुर्भाग्य ने यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ा।अस्थाई जेल के गेट के बाहर अस्वस्थ चल रहा सर्वेश वर्तमान में चल रहे संक्रमण की जांच में पॉजिटिव आ गया।वहां से उसे पुलिस अभिरक्षा में दीनदयाल हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है।

घटना को लगभग 6 दिन हो चुके हैं।सर्वेश को अच्छे से जानने वाले लोगों का आरोप है कि शिकायत पड़ने के बाद लंका पुलिस सर्वेश को मुजरिम न होते हुए भी मुजरिम की दृष्टि से देखने की भूल कर बैठी है,सर्वेश का जीवन में कभी थाना-पुलिस से वास्ता भी नहीं पड़ा और ना ही कोई आपराधिक मामला है।

सर्वेश के जेल जाने के बाद सर्वेश से जुड़ी दुधमुही बच्ची समेत तीन मासूम जिंदगियों का जीवन संकट में आ गया है।सर्वेश का कहना है कि तीन मासूम बेटियों का मोह उसे मरने नही देता और लंका पुलिस ने बिना जांच के ही जेल भेज कर माथे पर ऐसा कलंक लगाया कि जीने का मन नहीं करता।

सर्वेश को बेगुनाह मानने वाले लोगों की गुहार है कि सर्वेश जैसे बेगुनाहों के हक में ईमानदार छवि वाले बनारस के कप्तान ऐसा आदेश जारी करें कि सर्वेश जैसा हर लाचार अपना और अपने परिवार की रक्षा कर सकें।लोगों को अंदेशा है कि पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी जांच के दी गई यातनाएं उसे जीवन से छुटकारा पाने के लिए मजबूर भी कर सकती है

और एक माँ-बाप अपना बुढ़ापे का सहारा, एक बहन जीवन भर उसकी रक्षा करने वाले भाई और तीन मासूम बच्चों से उसका पिता का सम्बल छीन सकता है।सर्वेश के बच्चों की चेहरे की उदासी भरी नज़रे जो हर पल एक ही सवाल करती है जिसका जवाब शायद सर्वेश के परिचितों के पास भी नही है और ना ही कोई जवाब लंका पुलिस के पास होगा जो उन तीन मासूम बच्चे की आखों में आखें डाल कर मासूमों के सवाल का जवाब दे सकें।

जिसने एक गलत कार्यवाई के चलते फिलहाल अपना पिता और उनका प्यार, स्नेह सब कुछ खो दिया है। वह मासूम अपने आप को हर पल ठगा महसूस कर रहे हैं।लंका पुलिस है कि सच्चाई जानने के बाद भीतर-भीतर पश्चाताप तो कर रही है लेकिन  सर्वेश को धारा 452 में जेल भेजकर खुद को गलत साबित करने का जोखिम उठाने से कतरा भी रही है।

लंका पुलिस को डर है कि ईमानदार कप्तान अमित पाठक के जानकारी में यदि यह बात आ गई तो कप्तान के रडार पर आने का जोखिम सौ फीसदी पक्का है।फिलहाल लोगों की नजर मिस्टर परफेक्ट पर टिकी है कि शायद तीन अबोध मासूम बच्चों के दर्द का मामला उनके संज्ञान में आ जाये

और उनके पहल पर जेल की बेवजह सजा काट रहे सर्वेश को बाहर निकाला जा सकें।लोगों की गुहार है कि यदि वाकई में लंका पुलिस से कोई भूल हो भी गई है तो एक गलती छिपाने के लिए सर्वेश मामले में दूसरी कोई भूल न करते हुए निष्पक्ष जांच कर त्वरित कार्यवाई करे ताकि सर्वेश की तीन अबोध बेटियों को न्याय मिल सके।

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