धड़ल्ले से चल रही अवैध आरा मशीनें, प्रशासन व वन विभाग बना धृतराष्ट्र ।

धड़ल्ले से चल रही अवैध आरा मशीनें, प्रशासन व वन विभाग बना धृतराष्ट्र । उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ ) भदोही । जनपद में सैकड़ों अवैध आरा मशीनें धड़ल्ले से चल रही हैं। इन पर रोक लगाने के वन विभाग के तमाम प्रयास भी नाकाफी साबित हुए हैं। बेहिसाब हो रहे पेड़ों के कटान ने जंगल

धड़ल्ले से चल रही अवैध आरा मशीनें, प्रशासन व वन विभाग बना धृतराष्ट्र ।

उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ )

भदोही । 

जनपद में सैकड़ों अवैध आरा मशीनें धड़ल्ले से चल रही हैं। इन पर रोक लगाने के वन विभाग के तमाम प्रयास भी नाकाफी साबित हुए हैं।

बेहिसाब हो रहे पेड़ों के कटान ने जंगल सीमित कर दिए हैं। जंगलों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी यहां बेमाने साबित हो रहे हैं। बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से चल रही आरा मशीनों के कारण हरियाली पर कुल्हाड़ा नहीं रुक पा रहा है।

हाल यह है कि   लाइसेंस धारी आरा मशीनों की संख्या कुछ ही है, जबकि क्षेत्र में 200 से अधिक आरा मशीनें अवैध रूप से चल रही हैं। जबकि वन विभाग की हर वर्ष छापामारी कर आरा मशीनों को बंद कराने का दावा करता है।

हैरत की बात है कि 10 वर्ष पूर्व भी अवैध आरा मशीनों की संख्या 200 से अधिक थी और आज भी 200 से अधिक ही है। यानि वन विभाग की कार्रवाई भी ढाक के तीन पात ही है। वन विभाग के अनुसार गत वर्ष कुछ अवैध आरा मशीनों को ध्वस्त कर लाखों रुपये की कीमती लकड़ी और मशीनों को जब्त किया गया था।

बेशकीमती लकड़ी का दोहन

अवैध आरा मशीनों के संचालन से चोरी छुपे प्रतिबंधित लकड़ियों का कटान किया जाता है। यह ग्रामीड  क्षेत्र में चोरी छुपे जंगलों से दोहन की जाती हैं। इन अवैध मशीनों पर शीशम, सागौन, खैर आदि की लकड़ी आसानी से मिल जाती हैं।

क्या कहता है नियम

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 1997 से पूर्व जिस आरा मशीन पर लाइसेंस नहीं होगा, उसे बंद किया जाए। उनकी लकड़ी को भी जब्त कर लिया जाए। खास बात यह है कि आरा मशीनों के लाइसेंस भी लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय से बनाए जाते हैं। जिनके पास लाइसेंस हैं उनका नवीनीकरण प्रदेश स्तर की कमेटी करती है।

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