पांचवें दिन जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज की कथा का लोगों ने उठाया आनंद

अम्बेडकरनगर। जिला मुख्यालय अकबरपुर ग्रिफिन पब्लिक स्कूल में हो रहे श्री राम कथा मे आज पांचवें दिन श्रीमनजगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने पुरुषोत्तम राम के गुरुकुल के बारे में वर्णन किया और बताया चारों भाइयों को यगोपवीत संस्कार के बाद गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा-दीक्षा हेतु भेजा गया। गुरु वशिष्ठ को

अम्बेडकरनगर। जिला मुख्यालय अकबरपुर ग्रिफिन पब्लिक स्कूल में हो रहे श्री राम कथा मे आज पांचवें दिन श्रीमनजगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने पुरुषोत्तम राम के गुरुकुल के बारे में वर्णन किया और बताया चारों भाइयों को यगोपवीत संस्कार के बाद गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा-दीक्षा हेतु भेजा गया। गुरु वशिष्ठ को उनके अवतारी पुरुष होने की जानकारी थी। शिक्षा-दीक्षा के पूरी होने पर, ऋषि विश्वामित्र ने अयोध्या आकर राजा दशरथ से राम व लक्ष्मण को अपने साथ वन में ले जाने का आग्रह किया, ताकि यज्ञ-तपस्या में विघ्न पैदा करने वाले राक्षसों का नाश-सफाया किया जा सके। विश्वामित्र ने दोनों भाइयों को दैवी अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा प्रदान की। वहाँ उन्होंने सुबाहु-ताड़का आदि का अंत किया। भगवान् श्री राम ने अहिल्या का उद्धार भी किया जो कि अपने पति के श्रापवश शिला-पत्थर बन गई थीं। यह स्थान वर्तमान आंतेला गांव में, जो कि दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित है। यहाँ पानी के कुण्ड हैं, जिनसे लगातार पानी की धारा प्रवाहित होती रहती है। महाराज जी ने कथा को दूसरी दिशा प्रदान करते हुए मिथिला के बारे में कथा प्रारंभ की और बताया कि लगभग 12 वर्ष का सूखा-अकाल पड़ने-बारिश न होने पर उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के तहत उन्होंने भूमि को हल से जोता। उनके हल की फाल-नोक खेत में फंस गई तो खोद कर देखा गया। वहाँ राजा को एक सोने का घड़ा मिला, जिसमें एक कन्या मिली। यह कन्या रावण की थी जिसके भ्रुण को गिराकर राक्षसी द्वारा राजा जनक के राज्य में दफना दिया गया था। रावण को ज्योतिषी होने के कारण यह ज्ञात था कि उसकी पुत्री ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। अतः उसने भ्रुण हत्या की कोशिश की। राजा जनक कन्या को देखकर बेहद प्रसन्न हुए। राजा जनक स्वयं एक जितेन्द्रिय-ज्ञानी-विद्वान थे। इस अवसर पर जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने प्रभु श्रीराम की ’परसत पद पावन सोक नसावन प्रगट भई तप पुंज सही’ से आरती की। रामकथा का भक्तों ने आनंद उठाया। इस अवसर पर मुख्य यजमान पवन पाण्डेय (पूर्व विधायक), अयोध्या बड़ा भक्त माल के महंथ अवधेश दास जी महाराज, अयोध्या मणि पर्वत के महंथ भरलाल जी महाराज, नालिनेश तिवारी, बृजेन्द्र वीर सिंह (गुड्डू), दुर्गेश पाठक, गुड्डू श्रीवास्तव, लालता प्रसाद पाण्डेय जज साहब, अंश द्विवेदी, हेमंत राय जी, देवानंद शर्मा, अतुल पाण्डेय सहित अन्य भक्तगण उपस्थित रहे।

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