गंगा तलहटी के बाशिन्दे आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन, शुद्ध पेयजल आपूर्ति, आने जाने के लिए समुचित मार्ग, विद्युतीकरण जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये का बजट ग्राम पंचायत के खाते में विकास कार्य के लिए मुहैया कराया जाता है उसके बाद भी गंगा नदी की

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन, शुद्ध पेयजल आपूर्ति, आने जाने के लिए समुचित मार्ग, विद्युतीकरण जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये का बजट ग्राम पंचायत के खाते में विकास कार्य के लिए मुहैया कराया जाता है उसके बाद भी गंगा नदी की तलहटी में बसे गावों की स्थिति बद से बदतर है यहां के बाशिंदों को आजादी के इतने वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रधान जी के रहमोकरम पर निर्भर है।

विकास खंड सरोसी क्षेत्र की ग्रामसभा मरौंदा सूचित का मजरा पनपथा की आबादी करीब एक हजार की तादाद में है। गंगा नदी की तलहटी में स्थित इस गांव में विकास के नाम पर ग्रामीणों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। गांव के कुछ मार्ग पक्के जरूर बने हुए हैं लेकिन पूरे गाँव में नाली बनी ही नहीं जिससे घरों का गंदा पानी रास्ते पर भरा रहता है स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2015 से एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया। पूर्व में बने शौचालयों की स्थिति कबाड़ में तब्दील हो गयी है पेयजल के लिए लगे छः इंडिया मार्का हैंडपंप में सभी खराब पड़े हुए हैं

ग्राम प्रधान धर्मेंद्र उर्फ गुड्डू लाला से जब इस सम्बन्ध में जानकारी के लिए फोन किया तो बात नहीं हो पायी। कुछ यही नजारा ग्राम पंचायत कटरी मरौंदा मझवारा के मजरा लल्तूपुरवा, देवीपुरवा व बंदन पुरवा का है। इन मजरो में भी स्वच्छ भारत मिशन के तहत कोई शौचालय निर्माण नहीं किया गया पुराने शौचालयों पर वर्ष 2016-17 लिख दिया गया। गांव में बने रास्ते के किनारे नालियां नहीं होने के कारण ग्रामीण गंदगी से गुजर रहे हैं

जबकि शासन द्वारा खास तौर पर गंगा नदी के किनारे बसे गांवों में बडे पैमाने पर शौचालय निर्माण का निर्देश दिए गए थे जिससे गंदगी गंगा नदी में न पहुंचे। जिला प्रशासन द्वारा पूरे जनपद को ओडीएफ घोषित कर दिया गया जबकि जमीनी हालात इतने बदतर है कि यहां के बाशिंदे नरकीय जीवन जीने के लिए विवश है।

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