स्वतंत्र प्रभात ब्यूरोउन्नाव
बताते चले कि आज कल लोगों ने पत्रकारिता को मज़ाक़ बना दिया है,जिसका जिताजागत उदाहरण इदरीस भाई का है कि किसकी टोपी किसके सर,वाली कहावत को चरितार्थ करने जैसी ही है कि लोन नदी का नाला,किस फ़ैक्टरी से दूषित हो रहा है और हमारे पत्रकार भाई ने किस वजह से मैश एग्रो फूड का नाम ले रहे हैं।
जबकि मामला कुछ और ही नज़र आ रहा है कि जब अंगूर खाने को नामिले तो अंगूर खट्टे है एसे में जिलाप्रशासन को इस तरह के लोगों पर जांच कर दूध का ढूध पानी का पानी कर देना चाहिए जिससे कोई उद्योग उन्नाव से पलायन न करें और पत्रकारिता भी बदनाम न हो वार्ना उन्नाव की पत्रकारिता को यू ही दागदार करते रहेंगे जबकि जाँच की जाए तो साफ हो जाएगा कि यह नाला पड़री रोड पर पड़ने वाली बजाज पेपर मिल का है