स्वतंत्र प्रभात वाराणसी
मनीष पांडेय
11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा हुई थी। तब से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के लिए जागरूक किया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर भारत समेत पूरी दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. इस कार्यक्रम में लोगों बढ़ती आबादी के बारे में जागरूक किया जाता है।कॉलेज, स्कुल, सर्वजनिक स्थलों और टीवी चैनल पर कई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जिसमें बढ़ती आबादी के दुष्परिणाम के बारे में लोगों को समझाया जाता है।
बता दें कि विश्व की आबादी लगातार बढ़ रही है।संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर घटते प्रजनन दर के बावजूद 2050 तक विश्व की आबादी 9.8 अरब हो जाने की उम्मीद है. आबादी हर साल करीब 8.3 करोड़ बढ़ रही है, प्रजनन के स्तर में गिरावट के बावजूद उच्च स्तर पर आबादी बढ़ना जारी रहने की उम्मीद है।
गौरतलब हो कि सयुंक्त राष्ट्र की जानकारी के अनुसार भारत साल 2022 तक आबादी के मामले में चीन को पछाड़ देगा. इस दौरान दोनों देशों की आबादी अलग-अलग 1.4 अरब होगी और भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ेगी. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में ‘वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट्स द 2015 रिविजन’ के मुताबिक, “2030 तक भारत की आबादी बढ़ कर 1.5 अरब और 2050 तक 1.7 अरब होने का अनुमान है, जबकि 2030 तक चीन की आबादी स्थिर बनी रह सकती है, जिसके बाद इसमें धीरे-धीरे गिरावट की संभावना है।
ऋतुराज त्रिपाठी
भारतीय फ़ार्मेसी स्नातक परिषद्