वाराणसी: एंटीजेन जांच में 12 पॉजिटिव मिले, सभी निजी अस्पताल के मेडिकल स्टाफ

वहीं बीएचयू में भर्ती एक मरीज की कोरोना से मौत भी हो गई है। बिहार का मरीज होने के नाते उसकी गिनती फिलहाल वाराणसी में नहीं हो रही है

स्वतंत्र प्रभात वाराणसी

मनीष पांडेय

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए वाराणसी में शुरू किये गए एंटीजेन जांच में मंगलवार को 12 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सभी ककरमत्ता स्थित एक निजी अस्पताल के कर्मचारी हैं। इसी अस्पताल के डाक्टर समेत सात कर्मचारियों की रिपोर्ट सोमवार को पॉजिटिव आई थी।

इसके बाद मंगलवार को एंटीजेन मोबाइल किट के साथ टीम ने अस्पताल के अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की जांच शुरू की थी। अस्पताल में संक्रमितों की संख्या 19 हो गई है। वहीं बीएचयू में भर्ती एक मरीज की कोरोना से मौत भी हो गई है। बिहार का मरीज होने के नाते उसकी गिनती फिलहाल वाराणसी में नहीं हो रही है। 


इससे पहले सोमवार को 23 और रविवार को 28 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। दोनों दिन दो लोगों की मौत भी हुई थी। 12 नए मरीजों के साथ ही वाराणसी में संक्रमितों की संख्या 485 हो गई है। इसमें 17 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 279 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। एक्टिव मरीजों की संख्या 189 है।


कोरोना वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण के लिए वाराणसी में एंटीजेन किट से शुक्रवार को जांच शुरू हुई थी। आईसीएमआर ने एंटीजेन किट से जांच केवल हॉटस्पाट, कंटेनमेंट जोन या अस्पतालों में भी इस्तेमाल करने को कहा गया है। इससे इन्फ्लूऐंजा से मिलते-जुलते लक्षण से पीड़ित और हाईरिस्क बीमारी यानी जैसे फेफड़े, गुर्दे, लीवर, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग अथवा हाइपरटेन्शन, डायबिटीज वालों की जांच होगी। 


हेल्थ केयर फैसिलिटी में आकस्मिक सर्जरी या आवश्यकतानुसार अन्य गम्भीर इलाज शुरू करने से पहले एंटीजेन किट का प्रयोग करने का निर्देश है। एंटीजेन किट से जांच के लिए स्वाब यानि नाक के पिछले हिस्से का स्राव लिया जाता है। इससे परिणाम भी 15 से 30 मिनट में मिल जाता है। 


देश में कोरोना संक्रमण की जांच में तेजी लाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस टेस्ट किट को मंजूरी दी थी। कोरोना संक्रमण का जल्द पता लगाने के लिए पिछले दिनों वाराणसी समेत चुनिंदा जिलों में एंटीजन किट से जांच का फैसला हुआ था।   


ऐसे काम करती है किट नाक से फ्लूइड का सैंपल लेने के बाद मोबाइल वैन में बनी लेबोरेट्री में उसे किट में डाला जाता है। अगर किट की स्ट्रिप पर एक लाल लाइन आती है तो रिपोर्ट निगेटिव और दो लाल लाइन पर पॉजिटिव होती है। किट से परीक्षण के बाद संबंधित व्यक्ति को पुख्ता तौर पर पॉजिटिव और निगेटिव मान लिया जाएगा। कोई लकीर नहीं दिखने पर टेस्ट बेनतीजा होगा। 


लैब से रिपोर्ट आने में एक से दो दिन लगता हैयह नई तकनीक कोरोना से लड़ाई में बड़ा बदलाव लाने का दावा किया जा रहा है। इससे टेस्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी और संक्रमितों का तेजी से पता चलेगा। यह टेस्टिंग इसलिए बहुत खास है क्योंकि आमतौर पर कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट 1-2 दिन में आती है जबकि इस तकनीक में आधा घंटे में नतीजा आ जाता है।  
अब तक लैब में हो रही थी

जांचकोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए अब तक स्वाब (लार) अथवा खून की जांच स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मान्य प्रयोगशालाओं में हो रही थी। वाराणसी में कोरोना संक्रमण की जांच काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के माइक्रोलॉजी डिपार्टमेंट के वॉयरोलॉजी प्रयोगशाला में हो रही है।

यहां पर अन्य जिलों से भी सैंपल आ रहे हैं। ऐसे रिपोर्ट आने में कम से कम 48 घंटे का समय लग रहा है। किट की मदद से जांच के बाद संक्रमित व्यक्ति का जल्द-जल्द इलाज शुरू होगा और उसके स्वस्थ्य होने की संभावना पहले से अधिक हो जाएगी

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