जंगल झाड़ियों में तब्दील हो रहा सरस हाट

चौदह वर्ष पूर्व बाबागंज मार्केट में बनाया गया सरस हाट हैंड ओवर ना होने के कारण हुआ वीरान संवाददाता – सुशील कुमार द्विवेदी इटियाथोक, गोण्डा-भारी भरकम सरकारी रकम व्यय होने के बाद भी लापरवाही के चलते कई वर्ष बाद भी आज तक बाबागंज का सरस हाट आबाद नही हो पाया, उल्टे अब वह जंगल में

चौदह वर्ष पूर्व बाबागंज मार्केट में बनाया गया सरस हाट

हैंड ओवर ना होने के कारण हुआ वीरान

संवाददाता – सुशील कुमार द्विवेदी

इटियाथोक, गोण्डा-
भारी भरकम सरकारी रकम व्यय होने के बाद भी लापरवाही के चलते कई वर्ष बाद भी आज तक बाबागंज का सरस हाट आबाद नही हो पाया, उल्टे अब वह जंगल में तब्दील हो चुका है। अब से करीब 14 बरस पहले बाज़ार की तंग सड़क पर लगने वाली जाम और गन्दगी से निजात दिलाने के लिए लाखों रूपये की लागत से बने सरस हाट का निर्माण वर्ष 2006 में हुआ था।
यह सरस हाट इटियाथोक ब्लाक के बाबागंज मार्केट के बिलकुल पीछे आधा अधूरा बना हुआ है। दुकानदारों के लिए शटर लगे कमरे टीन शेड शौचालय इत्यादि भी यहा बने है, जो अब जीर्ण शीर्ण हो चुके है। इसका संचालन सुनिश्चित न होने की वजह से झाड़ियों में तब्दील इस हाट में अंदर बाहर गंदगियों का अम्बार लगा हुआ है। लाखों रूपये की सरकारी लागत की बर्बादी के बावजूद इसका कोई लाभ यहा लोगो को नही मिला है। गौरतलब है कि बाबागंज मार्केट में सड़क की पटरियों पर दुकानें लगने की वजह से आये दिन जाम की समस्या तथा सड़क पर गन्दगी की वजह से दुश्वारियों के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में इस हॉट का संचालन होना था। प्रशासन एवं जिम्मेदार लोगों का ध्यान आकर्षित किये जाने के उद्देश्य से तैयार इस रिपोर्ट को सकारात्मक दृष्टि मिले तो हॉट में बनी दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया के बाद सड़क पर लगने वाली दुकानें हॉट में शिप्ट कराने की दिशा में विचार होना चाहिए। इससे राजस्व में बृद्धि होने के साथ एक अच्छी मार्केट का दर्जा बाबागंज बाजार को दिलाया जा सकता है।
मिली जानकारी के मुताबिक जिस संस्था के तहत इस हॉट का निर्माण हुआ था उससे हैंडओवर न होने की वजह से संचालन नही हो पा रहा है, जबकि क्षेत्रीय विधायक विनय द्विवेदी कई बार इस बाबत विभाग को पत्र लिख चुके हैं। आशय स्पष्ट है की यदि सत्ता के विधायक द्वारा किये गए प्रयास को प्रशासन अनदेखा करते हुए इस परियोजना को अधर में लटकाये हुए है तो, प्रशासन की नाफ़रमानी सरकार की छवि को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा है।

About The Author: Swatantra Prabhat