जिला निर्वाचन कार्यालय में आला अफसरों की सफलता से अवैध मंसूबे हो रहे हैं कामयाब।

शाहजहांपुर। आज जहां शासन एवं प्रशासन जनहित एवं न्याय को प्रभावित होने से बचाने के लिए अपने कार्यों के प्रति सजग होने का दावा ठोक रहा है। समाज के संभ्रांत व्यक्तियों द्वारा कुछ कारनामों की जानकारी शासन एवं प्रशासन को देने के बावजूद विभाग के आला अफसर अपने मातहतों के काले कारनामों के विरुद्ध कार्यवाही

शाहजहांपुर।

आज जहां शासन एवं प्रशासन जनहित एवं न्याय को प्रभावित होने से बचाने के लिए अपने कार्यों के प्रति सजग होने का दावा ठोक रहा है। समाज के संभ्रांत व्यक्तियों द्वारा कुछ कारनामों की जानकारी शासन एवं प्रशासन को देने के बावजूद विभाग के आला अफसर अपने मातहतों के काले कारनामों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय शायद उनको बचाने के उद्देश्य लीपापोती करने में लगे हैं।

ऐसे में काले कारनामों को अंजाम देने में मस्त मां तत्वों के हौसले और भी बुलंद हो रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला निर्वाचन कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुरेश पाल की स्थाई नियुक्ति सन 1893 मैं हुई थी। उस समय सुरेश पाल द्वारा जो शैक्षिक एवं जन्मतिथि संबंधित प्रमाण पत्र दिए गए होंगे उसके आधार पर सर्विस बुक में जन्मतिथि 12-08-1955 दर्ज की गई।इस पटेल का कार्य देख रहे अपने कार्यों में महारत प्राप्त वरिष्ठ सहायक संजीव श्रीवास्तव द्वारा अपने चहेते कर्मचारी को अनुचित लाभ दिलाने हेतु सुरेश पाल उक्त की सर्विस बुक में जन्मतिथि में बिना किसी सक्षम अधिकारी का आदेश प्राप्त किए कटिंग करते हुए 5 वर्ष का सेवा विस्तार करने के उद्देश्य से जन्म तिथि 12-08-1960 दर्ज कर दी गई।

इस बाबत भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी राजेश सिंह द्वारा इसी प्रकार की जानकारी भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश लखनऊ एवं जिलाधिकारी शाहजहांपुर को दी गई जिस पर डिप्टी कलेक्टर सौरभ भट्ट शाहजहांपुर को जांच अधिकारी नाम कर जांच सौंपी गई किंतु काफी समय बीत जाने के पश्चात अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई उक्त कर्मचारी विधि विपरीत 5 वर्ष के सेवा विस्तार का लाभ पूरा करने में सफल होकर अगस्त 2020 में सेवानिवृत्ति होने वाला है अनुमान लगाना अतिशयोक्ति नहीं कहा जाएगा कि कर्मचारी एवं विधि विरुद्ध सेवा विस्तार का लाभ देने वाले वरिष्ठ सहायक दोनों के अवैध मंसूरी भी सफलहो जाएंगे और उनका बाल भी बांका नहीं हो पाएगा क्योंकि ना तो इससे पूर्व जांच पूरी हो पाएगी और ना ही कार्यवाही से जनमानस में आक्रोश व्याप्त होना स्वभाविक है।

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