जिंदा करने के लिए 80 हजार इसके बाबजूद जिंदा न होने पर की शिकायत
शिकायत के बाद अधिकारी लेखपाल पर कार्यवाही की बजाय शिकायतकर्ता को जेल भेजने की दे रहे धमकी
शाहजहाँपुर ।
जलालाबाद क्षेत्र में लेखपाल की कलम से जो बच जाए वह बड़ा ही नसीब वाला होता है, क्योंकि लेखपाल की कलम ऐसी है जिंदा को मृत घोषित कर देती है तथा गरीब को अमीर और अमीर को गरीब बना देती है। ऐसा ही कारनामा जलालाबाद तहसील की लेखपाल का फिर सामने आया है। जिसमें तहसील के गांव नगला किशुन पर तैनात लेखपाल ने दो जीवित महिलाओं को अभिलेखों में मृत दर्शाकर उसकी भूमि को दो अन्य लोगों के नाम अंकित कर दिया।
मोहल्ला आज़ाद नगर निवासी सच्चिदानंद मिश्रा ने आईजीआरएस पर शिकायत देकर बताया कि जलालाबाद तहसील में लेखपाल दिव्या सिंह नगला किसुन व चितरऊ की लेखपाल है।नगला किशुन में उसके चाचा सत्यभान की लगभग 22 बीघा जमीन थी।चाचा सत्यभान की मृत्यु के समय उसकी चचेरे बहने बेबी व डोली नाबालिग थी इसलिए उनकी जमीन को उस समय के लेखपाल ने वर्ष 2015 में पाका 11 आदेश में चाचा की जमीन में बेटियों बेबी,डाली,पत्नी लक्ष्मी व पुत्र कुलदीप को बराबर का हिस्सेदार बताते हुए विरासत दर्ज करवा दी थी।
लेकिन वर्ष 2019 में जब पुष्पा सिंह लेखपाल गॉव की लेखपाल बनाई गई तो उन्होंने कुलदीप के साथ आर्थिक सांठ गांठ कर बेबी व डाली(जो कि अब शादीशुदा व जिंदा है) को मृतक दर्शा कर पाका 11 में एक और आदेश दर्ज करवाया जिसमे बेबी और डाली को मृतक दिखाते हुए जमीन को कुलदीप व लक्ष्मी देवी के नाम दर्ज करवा दिया।बेबी व डाली की शादी हो गई लेकिन खेती उनका भाई कुलदीप के ही कब्जे में रही।लेकिन जब प्रधानमंत्री महोदय द्वारा किसानों को 2 हजार दिए जाने की घोषणा हुई तो उन्होंने भी प्रधानमंत्री जी द्वारा दी जाने बाली सहायता की आस में जब तहसील से इंतखाब निकलवाया तो उसमें दोनों ने खुद को मृतक देखा तो उन्होंने इसकी जानकारी अपने चचेरे भाई सच्चिदानंद को दी और कहा कि जमीन भले ही उनका भाई कुलदीप करता रहे लेकिन बिना उनकी जानकारी के उन लोगो को मृतक घोषित करना गैर कानूनी है।
इसकी शिकायत जब सच्चिदानंद ने आईजीआरएस पर की इसके बाद से रिश्वतखोर लेखपाल को बचाने में सरकारी अमला जुट गया और शिकायतकर्ता को आफिस में बुलवा कर धमकाया जाने लगा कि तुमको जेल भेज देंगे सरकारी अधिकारी और रिश्वत लेने का आरोप लगा रहे हो।वहीं सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि शिकायत के बाद 1 मई को पाका 11 रजिस्टर में दोनों महिलाओं को जिंदा कर दिया गया है लेकिन अभी तक कम्प्यूटर पर दर्ज नही हुआ है। सवाल साहब लोगों से:शिकायत कर्ता आज़ाद भारत का नागरिक है यदि कहीं कोई अपराध घटित होता है तो वह उसकी शिकायत दर्ज करवाने के लिए स्वतंत्र है।
लेखपाल ने यदि मानवीय भूलवश गलती से मृतक दर्ज कर दिया था।तो 16 महीने पहले की गई गलती को अब तक सुधारा क्यों नही गया इससे साफ जाहिर है इसमे आर्थिक भृस्टाचार का अपराध हुआ है ।तो लेखपाल पर कार्यवाही की बजाय शिकायत कर्ता को क्यो धमकाया जा रहा है।