बुनकर ने बनाया “मोदी गमछा” बना चर्चा का विषय

बाराबंकी संदीप तिवारी जैदपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे लाँकडाऊन की 3 मई तक घोषणा करते समय देश की जनता के सामने एक गमछा बांधकर लोगों से अपील की थी। कि भाईयो बहनों मास्क की आवश्यकता डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को है। इसलिए गमछा और रुमाल के साथ स्टॉल का इस्तेमाल देशवासी करें।

लॉक डाउन 2.0 का संबोधन

बाराबंकी

संदीप तिवारी

जैदपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे लाँकडाऊन की 3 मई तक घोषणा करते समय देश की जनता के सामने एक गमछा बांधकर लोगों से अपील की थी। कि भाईयो बहनों मास्क की आवश्यकता डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को है। इसलिए गमछा और रुमाल के साथ स्टॉल का इस्तेमाल देशवासी करें। प्रधानमंत्री के चेहरे पर बंधा हुआ गमछा अब जैदपुर के एक बुनकर की कारीगरी का हिस्सा बन गया है।

जैदपुर के यह पहले बुनकर हैं जिन्होंने ने मोदी जी का गमछा देखकर सूत की रंगाई कताई करके उसको पावरलूम पर मोदी गमछे का आकार दे दिया है। ऐसे में इस मोदी गमछा की डिमांड देश भर में सोशल मीडिया के जरिए से पहुंच गई। इसलिए एक स्टोंल पार्टी के द्वारा बुनकर को मोदी गमछा बनाने का आर्डर मिला है। लेकिन ट्रांसपोर्ट सुविधा बंद होने के कारण कच्चा धागा बाहर से नहीं आरहा है। वही लॉकडाउन लगा होने से स्थानीय स्तर पर भी परेशानी हो रही है। उसके बाद भी बुनकर परिवार अपने घर पर पावर लूम के द्वारा मोदी गमछा की बुनाई कर रहा है।


बाराबंकी जिले का नाम वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत बुनकर के द्वारा बनाए गए स्टॉल में चुना गया है। जिससे जैदपुर कस्बे का नाम देश के साथ विदेशों में भी गमछे व स्टांल की कारीगरी में शामिल है। लेकिन उसके बावजूद भी बुनकरों को सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पाया है। ज़ैदपुर कस्बे के मोहल्ला महमूदपुर निवासी मोहम्मद इमदाद मामा अंसारी ने बताया की दूसरी बार लॉकडाउन की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चेहरे पर इसी तरह का गमछा बांधकर देश के लोगों से अपील कर रहे थे।

कि मास्क डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए लगाना जरूरी है। और बाकी हम सब देशवासी गमछा रुमाल स्टांल से भी अपना मुंह छुपा सकते हैं। लेकिन सभी देशवासियों को बाहर निकलने पर अपना चेहरा नाक के साथ छिपा कर रखना जरूरी होगा। मोदी जी के चेहरे पर बंधा हुआ रूमाल देखकर मेरे दिमाग में यही डिजाइन बनाने का विचार आया। और मैंने अपने पुत्र नदीम अख्तर व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर डिजाइनिंग तैयार की है। मेरे द्वारा बनाया गया गमछा व स्टॉल पहले से खरीदने वाली पार्टी को डिजाइन बना के सैंपल भेजा था। पार्टी ने मोदी गमछा देकर तत्काल माल तैयार करने का आर्डर दे दिया है। लेकिन लाँकडाऊन होने के कारण ट्रांसफोर्ट बंद है।

“मोदी गमछा” पवार लूम में तैयार करता बुनकर

जिससे कच्चा माल वह रंग नहीं आपा रहा है। इसलिए मोदी गमछा बनाने में कठिनाइयां भी हो रही है। गमछे की एक पीस मेरे द्वारा बनी हुई मेरे दोस्त गुलफाम रिज़वा ने सोशल मीडिया पर वायरल करदी थी। जिसके बाद बाद स्थानी स्तर पर भी लोग फोन कर कर के गमछे को खरीदना चाहते हैं। लेकिन माल की तैयारी धागा न होने के कारण माल बन नही पारहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि बुनकरों द्वारा बनाया गया गमछा स्टॉल को मेडिकल स्टोर व किराना मर्चेंट की दुकानों पर बेचने के साथ सूत को लाने ले जाने में छूट दे। जिससे देश के प्रधानमंत्री द्वारा की गई अपील का फायदा बुनकरों को मिले। और देश के लोग बुनकरों द्वारा बनाया गमछा अपने चेहरे पर बांधकर कोरोना जैसी महामारी से बचाव कर पाए।

सासंद उपेन्द्र सिंह रावत को भाया “मोदी गमछा”

मोदी गमछा बनाने के लिए 100 प्रतिशत कॉटन धागे का प्रयोग किया जाता है। इसमें डिजाइन बनाने के लिए डाबी मशीन भी चलाई जाती है। एक्सपोज धागे से बनाया जा रहा। मोदी गमछा गर्मी में पसीना सूखने के लिए बड़ा काम आएगा। जितनी अधिक गर्मी पड़ेगी इतना चेहरे पर बांधने में ठंड महसूस होगा। इसलिए इस गमछे को मोदी जी ने बांधने के लिए लोगों से अपील की थी। गमछे की मांग जिला स्तर पर भी बढ़ गई है। लेकिन अभी एक बुनकर ने यह डिजाइन बनाई है। इसलिए माल तैयार होने में समय लग रहा है।

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