ग्राम प्रधान से नाराज होकर रोजगार सेवक ने जलाई फाइलें ।

ग्राम प्रधान से नाराज होकर रोजगार सेवक ने जलाई फाइलें। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) भदोही। सरकार भले ही अपने कर्मियों को वेतन तथा विभिन्न तरह के भत्ते व सुविधायें देकर मालामाल करती है। लेकिन कुछ ऐसे कर्मी है जो सरकार के सभी नियम कानून कि धज्जियां उडाते है। और अपनी मोटी कमाई में से कुछ

ग्राम प्रधान से नाराज होकर रोजगार सेवक ने जलाई फाइलें।


संतोष तिवारी( रिपोर्टर )

भदोही।
सरकार भले ही अपने कर्मियों को वेतन तथा विभिन्न तरह के भत्ते व सुविधायें देकर मालामाल करती है। लेकिन कुछ ऐसे कर्मी है जो सरकार के सभी नियम कानून कि धज्जियां उडाते है। और अपनी मोटी कमाई में से कुछ पैसों का लालच देकर दूसरे से काम कराते है।और स्वयं मौज करने में व्यस्त रहते है। विभाग के लोग भी इस तरह की बातों पर ध्यान नही देते है। जिला से लेकर ग्रामस्तर के जिम्मेदार के मिलीभगत और लापरवाही से यह खेल खुब फल फूल रहा है। लेकिन किसी को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
भदोही जिले के औराई ब्लाक अन्तर्गत सिऊर गांव का रोजगार सेवक अवधेश से जिले में ग्राम पंचायत अधिकारियों के कार्यों की पोल तो खोल दी। जिससे यह साबित हो गया कि गांवों के सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान अपने कार्यों की फाइलिंग दूसरे से कराते है। वह इसलिए की मेहनत न करना पडे और कुछ पैसे देकर दूसरे से काम कराते है। अवधेश ने बताया कि औराई ब्लाक में चार पांच रोजगार सेवक है जिनसे ब्लाक के सेक्रेटरी अपनी फाइल तैयार कराते है। उसके एवज में रोजगार सेवक को प्रतिदिन तीन से लेकर पांच सौ रूपया मिलता है। अवधेश ने बताया कि मैने भी रामापुर के ग्राम प्रधान का कार्य किया और दो वर्ष बीतने के बाद भी पैसा नही दिये और जब पैसा मांगने जाता हूं तो बहाना करते है या डांटकर भगा देते है। और इधर लाॅक डाऊन की वजह से कोई काम नही हो रहा है। और डेढ माह से घर पर बैठा हूं। जब कई बार पैसा के लिए कहा तो ग्रामप्रधान पैसा नही देना चाह रहे है। तो मैने उनके गांव की फाइल जलाकर वीडियो के माध्यम से उनको बताना चाहता था। इसीलिए बुधवार को करीब 10 फाइल जला दी। इस घटना की जानकारी होने पर एडीओ पंचायत ने जानकारी मांगी तो मैने बता दी। अवधेश ने फाइल जलाने की एक वजह ह भी बताई कि फाइलों में दीमक लग गया था। और जो जरूरी कागजात व फाइल था वह सेक्रेटरी प्रेमनाथ को दे चुका हूं। यह घटना केवल ग्राम प्रधान रामापुर को दिखाने के लिए किया ताकि वे मेरा पैसा लौटा दें। हालांकि अवधेश की बातों में जो सच्चाई हो या फाइल जलाने की जो भी वजह हो वह विभाग के जिम्मेदार लोग जांच करके अपने हिसाब से कार्य करेंगे। लेकिन इस घटना से तो एक बात साफ हो गई कि गांवों में तैनात सेक्रेटरी का असली चेहरा क्या है? जो सरकार से वेतन लेने के बाद भी नमक हरामी करते है। वैसे डीघ ब्लाक में भी कई रोजगार सेवक है जो सेक्रेटरी के लिए संकट मोचन है। जो चंद पैसों के लिए उनकी फाइल तैयार करते है। पंचायती राज विभाग के लापरवाही का खुला खेल उजागर होने से लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे है। यदि सेक्रेटरी काम न करना चाहे तो रोजगार सेवक को ही उनके जगह नियुक्त करके कार्य करायें तथा सेक्रेटरी को कार्यमुक्त कर दें। क्योकि किसी से जबरदस्ती कार्य नही कराया जा सकता है।

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